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जय भारत उदघोष हुआ था,
तोलोलम की चोटी पर…
हर बेटा पानी फेर रहा था
दुश्मन के बारूद की पेटी पर।
जाली बंकर तोड़ घुसे थे,
शेर वीर,उन कायर के
पाक में बादल काले थे..
जब हौंसले बोले,विक्रम के
चढ़ना इतना आसां न था,
दुश्मन जहां थे ऊंचे पहाड़ों पर
बुद्धि विवेक का ताज रखा था
भारत माँ ने अपने लाड़लों पर।
जब दुश्मन अपना पक्ष देखता,
दूरबीन से ऊंचाई पर गिद्धों-सा
हर बेटा तब लक्ष्य भेदता,
चढ़ा जा रहा था चट्टानों-सा
नंगरम,सोनम,संजय,श्यामा
चीर घटा बड़ा इतिहास रचे,
रक्त भेद आवाह्न था इनका
शत्रु मिटा के मैंदां उल्लास रचे।
सिंह,शास्त्री,योगिन्दर और गुप्ता
सबकी फिक्र में विक्रम बत्रा,
छह दिन तक जो भूख मिटाता
बर्फ का जल वो जुड़ा था नाता,
विजय दुबे भी कारगिल में थे..
वीरों के से युद्ध लड़े थे
सबने उनके पत्र पढ़े थे,
शेरों से छाती पर शत्रु की चढ़े थे
आज स्मरण सब करते उनका,
शहीद छवि का ख्वाब था जिनका
हम एलओसी जीत चुके हैं,
किंतु देश में अब भी दीवारें हैं..
छिपी दीवारें गुट में बांट चुके हैं,
अपनों से अपने जो आज घिरे हैं॥
#रजनीश दुबे
परिचय : रजनीश दुबे की जन्म तिथि १९ नवम्बर १९९० हैl आपका नौकरी का कार्यस्थल बुधनी स्थित श्री औरोबिन्दो पब्लिक स्कूल इकाई वर्धमान टैक्सटाइल हैl ज्वलंत मुद्दों पर काव्य एवं कथा लेखन में आप कि रुचि है,इसलिए स्वभाव क्रांतिकारी हैl मध्यप्रदेश के के नर्मदापुरम् संभाग के होशंगाबाद जिले के सरस्वती नगर रसूलिया में रहने वाले श्री दुबे का यही उद्देश्य है कि,जब तक जीवन है,तब तक अखंड भारत देश की स्थापना हेतु सक्रिय रहकर लोगों का योगदान और बढ़ाया जाए l
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