तुझे पहली नज़र में दिल दे बैठा हूँ
पहचाने बगैर आज इश्क़ कर बैठा हूँ
हो न हो जीवन का राग तुम ही हो
बिन लफ्ज़ों के ये इज़हार कर बैठा हूँ
तुम चाॅदनी पूनम की उजियार लगी
तुझे पाने का यार इंतजार कर बैठा हूँ
ऐ दिलरूबा दिले हालात समझ जाना
पूछे बगैर ही सच्चा प्यार कर बैठा हूँ
बेहतरीन हो तुम थी अब तक दूर क्यों
तुझे देखा और बस इकरार कर बैठा हूँ
आवाज भले कण्ठ में ही सिमट गया
तेरे नाम ये मेरा घर संसार कर बैठा हूँ
#नरेश कुमार जगत
परिचय: नरेश कुमार जगत का साहित्यिक उपनाम-जगत नरेश हैl आपका मुकाम-महासमुंद जिला के नवागाँव (गनेकेरा,राज्य-छत्तीसगढ़) में हैl १९८३ में विजयादशमी के दिन जन्मे श्री जगत का जन्म स्थान-नवागाँव ही हैl आपने आपनी विद्यालयीन शिक्षा ही पूरी की है और कार्य कके तौर पर घरेलू व्यवसाय कृषि में लगे हुए हैंl लेखन में आप हाइकु, सोदोकु,तांका,गीत सहित कविता,मुक्तक,लघुकथा,संस्मरण और मुक्त छंद आदि रचते हैं। विशेष कार्य-कम्प्यूटर ऑपरेटर (डी.टी.पी. सहित फोटो-वीडियो मिक्सिंग,कोरल आदि) की दक्षता है तो गायन,कपड़े सिलाई,रेखांकन और चित्रांकन के साथ ही सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय हैंl सम्मान में आपको बाबू बालमुकुन्द गुप्त साहित्यिक सेवा सम्मान व दमकते दीप साहित्यकार सम्मान दिया गया हैl सामाजिक कार्यों में आप जिला छत्तीसगढ़ में कुछ संघ से जुड़े हुए हैंl आपकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी को बढ़ाना,सामाजिक जागरूकता व उत्थान करना हैl