हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई,
हम सब हैं भाई भाई,
एक कुटुंम्ब है देश हमारा,
है एक हमारी माई।
जाति धर्म का ज़हर न घोलें,
सबको गले लगाएँ हम।
सबके दिलों में मिलकर,
प्रेम के दीप जलाएँ हम।
न्याय सत्य के पथ पर चल,
जीवन आदर्श बनाएँ हम।
नफ़रत की दीवार तोड़कर,
प्रेम के महल बनाएँ हम।
भष्टाचार जग से मिटाकर,
जीवन खुशहाल बनाएँ हम।
तन मन धन और कर्म से,
माँ पर प्यार लुटाएं हम।
एक उपवन के पुष्प हैं हम,
हैं एक गगन के तारे हम।
संतान हैं हम एक माता के,
एक माला के मोती हम।
दो पैसे के लालच में हम,
कहीं पाप ना कर बैठें।
भारत माँ के हृदय को,
कहीं घाव ना दे बैठें।
बिखरे मोती माला के ,
ना किसी काम के होते हैं।
फसल काटते हैं वही हम,
जो कर्मों से बोते हैं।
शक्ति एकता की पहचानों,
आँख, कान सब खोलो तुम।
आपस में जो झगड़ गए ,
क्या पाओगे बोलो तुम?
मानव को मानवता का,
आओ पाठ पढ़ाएं हम।
लाचारों को हम मिल कर,
उनके अधिकार दिलाएं हम।
आओ हम एक शपथ उठाएँ,
देश को अखण्ड बनाएँ हम।
राष्ट्रीय एकता का शुभदिन,
मिल जुल कर मनाएँ हम।
स्वरचित
सपना (स. अ.)
जनपद औरैया