बाल साहित्य को हल्के में नहीं लेना चाहिए

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उप शीर्षक-श्रेष्ठ साहित्य सृजन करने वालों का हुआ सम्मान
 
अकोलाl बाल साहित्य का सृजन समय की आवश्यकता और भावी पीढ़ी के भविष्य को संवारने वाला होना चाहिए। खास बात यह है कि जिनके लिए साहित्य लिखा जा रहा है,उन तक यह साहित्य पहुँचना बहुत जरुरी है। बाल साहित्य को हल्के में नहीं लेना चाहिए। यह कोई बचकाना सृजन नहीं है, बल्कि साहित्य के साथ भावी पीढ़ी में संस्कारों व ज्ञान का बीजारोपण है। 
        यह विचार बाल साहित्य की प्रमुख पत्रिका `देवपुत्र` के प्रबंध सम्पादक एवं ख्यातनाम साहित्यकार डॉ. विकास दवे ने व्यक्त किए। राजकुमार जैन राजन फाउण्डेशन (अकोला) द्वारा २६  नवम्बर रविवार को चित्तोड़गढ़ की ऋतुराज वाटिका में `राष्ट्रीय बाल साहित्य सम्मान` समारोह में बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधन में डॉ. दवे ने कहा कि,आज बच्चों में साहित्य पढ़ने की परम्परा कम हो रही है जो चिंता का विषय है। हमें साहित्य सृजन में नई पीढ़ी को क्या देना चाहिए,यह सोचना बहुत जरुरी है। 
समारोह अध्यक्ष सांसद सी.पी. जोशी ने देश के विभिन्न राज्यों से आए साहित्यकारों का वीरता की धरा पर स्वागत करते हुए कहा कि,अभी चित्तौड़ दुनिया में छाया हुआ है। सिर्फ शोहरत एवं पैसे के लिए इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश नहीं करना चाहिए। पूरी दुनिया हमारी भारतीय संस्कृति की ओर भाग रही है और हम पाश्चात्य संस्कृति की ओर जा रहे हैं जो चिंता का विषय है।
 सत्र को बतौर विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए चित्तौड़गढ़ के इतिहास अध्येता साहित्यकार डॉ. ए.एल.जैन ने कहा कि,साहित्यकार राजकुमार जैन राजन ने पूरे देश में बाल साहित्य की लौ जला रखी है। बाल साहित्य की पुस्तकें निःशुल्क देश के कई राज्यों के विद्यालयों संस्थाओं में भेंट कर पठन-पाठन परम्परा को सम्बल देकर सराहनीय कार्य कर रहे हैं। आज बच्चों तक अपनी बात कैसे पहुँचाएं,यह सोचना होगा।
 
समारोह में विशिष्ट अतिथि साहित्यकार गोविन्द शर्मा संगरिया सहित वरिष्ठ साहित्यकार,चिंतक,समीक्षक जितेन्द्र निर्मोही और 
समीक्षक,चिंतक,डॉ. कनक जैन ने भी अपनी बात रखीl  
कार्यक्रम संयोजक राजकुमार जैन `राजन` ने स्वागत उद्बोधन दिया और अपनी बाल साहित्य संवर्द्धन योजनाओं पर प्रकाश डालाl
 शुभारम्भ अतिथियों द्वारा माँ शारदा की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं पुष्पांजलि के साथ हुआ। सरस्वती वंदना नन्द किशोर निर्झर एवं स्वागत गीत डॉ. शकुंतला सरुपरिया ने प्रस्तुत किया। अतिथियों का मेवाड़ी परम्परानुसार स्वागत किया गया।
 प्रथम सत्र में  बाल प्रतिभा ऋभवन जोशी (आकोला) द्वारा शिव आराधना स्त्रोत की प्रस्तुति के बाद बाल साहित्य संवर्द्धन योजना के तहत प्रकाशित पवन पहाडि़या की ’समझो मम्मा’, ’ऐसी जोत जगाएं’, प्रहलादसिंह झोरड़ा ’चांद खिलौना’, ईंजी. आशा शर्मा की ’अंकल प्याज’ और महावीर रंवाल्टा की ’अनोखा जन्मदिन’ आदि बाल साहित्य की पुस्तकों का लोकार्पण अतिथियों ने किया। इस दौरान डॉ. शील कौशिक, सावित्री चौधरी तथा खेलन प्रसाद कैवर्त आदि की पुस्तकें भी लोकर्पित की गईं। सलूम्बर की बाल प्रतिभा जयेश खटीक व अभिषेक मेहता ने ख्यातनाम रचनाकारों की कविताओं का पाठ किया। राजकुमार जैन `राजन` ने नागौर के पवन पहाडि़या को ५५०० रुपए व सतारा के मछिन्द्र बापू भिसे को ४००० रुपए मूल्य की बाल साहित्य की पुस्तकें निःशुल्क भेंट की।
बाल साहित्य रचनाकारों,बाल कल्याण के क्षैत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों में `डॉ. राष्ट्रबंधु स्मृति सम्मान’ से सलूम्बर की डॉ. विमला भण्डारी एवं अल्मोड़ा के उदय किरौला को,’डॉ. श्रीप्रसाद स्मृति बाल साहित्य सम्मान’ से शाहजहांपुर के डॉ. नागेश पाण्डेय ’संजय’ (अनुपस्थित) एवं,’डॉ. चन्द्र सिंह बीरकाली राजस्थानी बाल साहित्य सम्मान’ से जयपुर की श्रीमती सावित्री चौधरी को सम्मानित किया गया।
 
इसी तरह ’डॉ. बालशौरी रेड्डी स्मृति बाल साहित्य सम्मान’ रतनगढ़ के ओम प्रकाश क्षत्रिय एवं पौढ़ी गढ़वाल उत्तरांचल के  मनोहर चमोली ’मनु’ (अनुपस्थित) को, ’श्री अंबालाल हींगड़ स्मृति बाल साहित्य सम्मान’ जोधपुर के डॉ. डी.डी. ओझा एवं गांधी नगर,गुजरात के गुलाबचंद पटेल को, ’श्रीमती इंदिरा देवी हींगड़ स्मृति बाल साहित्य सम्मान’  पटियाला की श्रीमती सुकीर्ति भटनागर एवं इन्दौर के प्रदीप मिश्र को दिया गयाl 
किया गया। अतिथियों एवं विशिष्ट प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर अभिनंदित किया गया।
धन्यवाद एवं आभार ज्ञापन महेश मेनारिया ’कृष्ण मिलन’ व संजय शर्मा ने किया।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।