बरक

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kapil shastri
अभी छह महीने पहले ही आत्मविश्वास से लबरेज़ मिठाई की दुकान वाले लालाजी की जुबान पर एक ही बात चढ़ी रहती थीl अपने घनिष्ट मित्रों से वो कहते नहीं थकते थे कि-`अपनी छोरी को प्राइवेट से बी.ए. पास हुई गयो हैl अब ई के हाथ पीलो करी देनो हैl एक खाते-पीते घर को रिश्तो आयो हैl भगवान की कृपा से यो रिश्ता हुई जायेगो,कपड़े,लत्ते,जेवर सब मिलई के एक करोड़ को बजट है अपनो। पार्टी को बतई दियो है।`
उनके कहने में एक ठसक बजी होती थी। फिर हमेशा की तरह एकाएक बात को घुमाकर वो लड़की की पढ़ाई की तरफ मोड़ देते और कहत-`छोरी आजकल इंगलिश सीखने जावे है,इंगलिश बोलनो सीखी ले तो अच्छा है ताकि समधी और लड़के ने लगे कि छोरी अंग्रेज़ी भी बोली ले।`
दैनिक अभ्यास से लड़की ने सामान्य शिष्टाचार में काम आने वाले वाक्यों का लड़खड़ाते हुए इस्तेमाल करना सीख लिया था और रिश्ता पक्का हो गया था,मगर पिछले कुछ दिनों से लालाजी भुनभुनाए रहते हैंl जिस चेहरे पर कभी मुस्कान थी,वहाँ अब ग्लानि मिश्रित गुस्सा थाl जुबान पर चढ़ी चाशनी कड़वाहट में बदल गई -`कमीनों के मुँह में खून लगी गियो हैl म्हारी छोरी वापस भेजी दी है ने दहेज भी लौटाई नी रियो है। किसी अच्छे वकील से कहकर ऐसो नोटिस बनवाऊंगा कि कोर्ट से सारो समान,गहनों,पैसो वापस मिली जाए ने तलाक भी मिल जाएl छोरी बोली री है कि म्हारे अब उस घर वापस नही जानो है,ने आगे पढ़नो है।`
फिर एक आह भरते हुए बोले-`गलती म्हारी ही है,बरक मिठाइयों पर ही अच्छा लग्यो है,मैंने अपनी छोरी पे चढ़ई दियो ने,सोच्यो कि वा खुश रेगी।`

                                                          #कपिल शास्त्री

परिचय : 2004 से वर्तमान तक मेडिकल के व्यापारी कपिल शास्त्री भोपाल में बसे हुए हैं। आपका जन्म 1965 में  भोपाल में ही हुआ है। बीएससी और एमएससी(एप्लाइड जियोलॉजी) की शिक्षा हासिल कर चुके श्री शास्त्री लेखन विधा में लघुकथा का शौक रखते हैं। प्रकाशित कृतियों में लघुकथा संकलन ‘बूँद -बूँद सागर’ सहित ४ लघुकथाएँ-इन्द्रधनुष,ठेला, बंद,रक्षा,कवर हैं। द्वितीय लघुकथा भी प्रकाशित हो गया है। लघुकथा के रुप में आपकी अनेक रचनाएँ प्रकाशित होती हैं।

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।