बॉलीवुड ने भारत को इतना सब कुछ दिया है…?? तभी तो आज देश यहाँ है..बलात्कार और गैंग रेप करने के तरीके,विवाह किए बिना लड़का-लड़की का सम्बन्ध बनाना और विवाह के दौरान लड़की को मंडप से भगाना तो है ही। चोरी-डकैती करने के नए-नए तरीके,भारतीय संस्कारों का उपहास उड़ाना,लड़कियों को छोटे कपड़े पहनने की सीख देना,जिसे फैशन का नाम देना है। दारु,सिगरेट, चरस तथा गांजा कैसे पिया और लाया जाए,गुंडागर्दी करके हफ्ता वसूली करना,भगवान का मजाक बनाना और अपमानित करना,पूजा-यज्ञ करना पाखण्ड है व नमाज पढ़ना ईश्वर की सच्ची पूजा है,मतलब धर्म की खाई बनाना भी इसी क्षेत्र से मिला है।भारतीयों को अंग्रेज बनाना, भारतीय संस्कृति को मूर्खता पूर्ण बताना और पश्चिमी संस्कृति को श्रेष्ठ बताना,माँ-बाप को वृध्दाश्रम छोड़ के आना,गाय पालन को मज़ाक बनाना और कुत्तों को उनसे श्रेष्ठ बताकर पालना सिखाना,रोटी,हरी सब्ज़ी, शाकाहारी खाना गलत बल्कि रेस्टोरेंट में पिज़्ज़ा,बर्गर,कोल्डड्रिंक और नॉन वेज खाना श्रेष्ठ है,ये भी इन्होंने ही सिखाया है। चोटी रखना या यज्ञोपवित्र पहनना मूर्खता और मजाकीय है मगर बालों के अजीबोगरीब स्टाइल (गजनी) रखना व क्रॉस पहनना श्रेष्ठ है, उससे आप सभ्य लगते हैं। शुद्ध हिन्दी-संस्कृत बोलना हास्य वाली बात है पर अंग्रेजी बोलना सभ्य पढ़ा-लिखा और अमीरी वाली बात है।जी हाँ,हमारे देश की युवा पीढ़ी बॉलीवुड और उसके अभिनेता-अभिनेत्रियों कॊ अपना आदर्श मानती है,जबकि ये लोग एक से ज्यादा लोगों से अवैध सम्बन्ध रखने में अपनी शान समझते हैं। पूरी फ़िल्म इंडस्ट्री में अधिकतर ने कई विवाह और कई तलाक किए हैं और कई बिना तलाक के दूसरे के साथ…?
वर्तमान राजनीति में लोगों को गुमराह करने के लिए इन भांडों को पार्टियों में शामिल किया जा रहा है,इस कारण उन नेताओं का वर्चस्व बढ़ता जा रहा जो स्त्री के शरीर का अपने आक़ाओं के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। मेहनती, ईमानदार व समझदार कार्यकर्ता तो ता उम्र सिर्फ दरी ही बिछाते रहते हैं।इसी वजह से देश सही तरीके से आगे नहीं बढ़ पाता है और भ्रष्टाचार ख़त्म होने के बजाय बढ़ता जा रहा है।आदमी पत्नी कॊ छोड़कर तो दूसरी और औरतें पति की बजाय दूसरे में झांकने की आदी होती जा रही है। इस कारण ‘लिव इन रिलेशन’ में रहने वाले बढ़ रहे हैं,फिर भले ही थोड़े दिनों में हत्या ही करना पड़े ,तो कोई अफसोस नहीं है। रोज़ घटने वाली ऐसी घटनाओं को रोकना या सामाजिक स्तर उच्च करना है,तो
इसी बॉलीवुड कॊ पहल करनी होगी ।ये देश की संस्कृति-सभ्यता दिखाए,तो यकीन मानिए,हमारी युवा पीड़ी अपने रास्ते से कभी नहीं भटकेगी।बात कॊ समझिए,जानिए औए जागरुक बनिए,बालीवुड की कठपुतली मत बनिए।मत देखिए ऐसे लोगो की फ़िल्में, जिनके बहुत चक्कर (अनैतिक संबंध) हैं। बॉलीवुड की कठपुतली बनने से सिर्फ वेद, प्राकर्तिक अन्न और सात्विक सत्संग ही बचा सकता है। दोस्तों,आलपिन या पिन जो सब कागजों को जोड़कर रखती है,वो एक बार हर कागज को चुभती जरूर है,इसी प्रकार आपको जैविक अन्न या सत्संग की बात भी चुभती हैं,पर यही असली जुड़ाव है।
इसी प्रकार परिवार,समाज,गली,गांव , प्रदेश और देश में जो भी आदमी जोड़कर रखने का प्रयास करता है,वो हल्के परिवार वाले के नेताओं, समाजजनों की आँखों में जरुर चुभता है,जबकि वास्तविकता यहाँ है कि,जो चुभ रहा है न,उसकी वजह से ही वो बचे हैं।
#शिवरतन बल्दवा
परिचय : जैविक खेती कॊ अपनाकर सत्संग कॊ जीवन का आधार मानने वाले शिवरतन बल्दवा जैविक किसान हैं, तो पत्रकारिता भी इनका शौक है। मध्यप्रदेश की औधोगिक राजधानी इंदौर में ही रिंग रोड के करीब तीन इमली में आपका निवास है। आप कॉलेज टाइम से लेखन में अग्रणी हैं और कॉलेज में वाद-विवाद स्पर्धाओं में शामिल होकर नाट्य अभिनय में भी हाथ आजमाया है। सामाजिक स्तर पर भी नाट्य इत्यादि में सर्टिफिकेट व इनाम प्राप्त किए हैं। लेखन कार्य के साथ ही जैविक खेती में इनकी विशेष रूचि है। घूमने के विशेष शौकीन श्री बल्दवा अब तक पूरा भारत भ्रमण कर चुके हैं तो सारे धाम ज्योतिर्लिंगों के दर्शन भी कई बार कर चुके हैं।