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पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे.अब्दुल कलाम
कृतज्ञ राष्ट्र का स्वीकारो विनम्र सलाम,
जमीन से उठे,आसमान पर छा गए
श्रम और प्रतिभा के बूते कहां से कहां आ गए।
अति साधारण नाविक पिता के घर में जन्मे,
लेकिन कुछ करने का भाव रहा सदा मन में
धन-दौलत से गरीब,पर मन से तुम सदा अमीर रहे,
श्रम,योग्यता और राष्ट्रधर्म स्पर्धा में सदा मीर रहे।
वैज्ञानिक और रक्षाविद् बनकर नाम कमाया,
कर्म साधना के बल पर ‘भारत रत्न’ पाया
लैम्प पोस्ट में पढ़ाई की,हाॅकर बन अखबार बांटे,
मुफलिसी की बेला में भूखे रहकर भी दिन काटे।
‘अग्नि’ और ‘पृथ्वी’ का किया आविष्कार,
‘मिसाइलमैन’ बन किए भारत स्वप्न साकार
मुल्क की सामरिक ताकत हुई तुमसे मजबूत,
तुम्हारी संकल्प शक्ति और प्रतिभा थी अद्भुत।
पोखरण परीक्षण के थे तुम नायक,
गुदड़ी के लाल बने तुम महानायक
वैज्ञानिक होकर भी कला संगीत के रहे कद्रदान,
अप्रतिम होता था रुद्र वीणा वादन, शास्त्रीय गान।
बच्चों को देख तुम किलकारियां भरते थे,
युवा और बच्चे देख तुम्हें आहें भरते थे
राष्ट्रपति होकर भी महामहिम नहीं कहलाए,
जीवनभर पीड़ित मानवता के दर्द सहलाए।
तुम सच्चे अर्थों में आजीवन शिक्षक रहे,
ज्ञान गुरु भारत के सदा विज्ञान संरक्षक रहे
आमजन के तुम प्रथम राष्ट्रपति थे,
विज्ञानी होकर भी प्रत्युत्पन्नमति थे।
तुमसे जुड़ी अनेक स्वर्णिम स्मृतियाँ है,
कॆसे कह दूं कि वे सब अब विस्मृतियां है
सच तो ये है कि,आसान नहीं तुम्हें भुला पाना,
कलाम तुम बन गए हो भारतीयता का तराना॥
#डॉ. देवेन्द्र जोशी
परिचय : डाॅ.देवेन्द्र जोशी गत 38 वर्षों से हिन्दी पत्रकार के साथ ही कविता, लेख,व्यंग्य और रिपोर्ताज आदि लिखने में सक्रिय हैं। कुछ पुस्तकें भी प्रकाशित हुई है। लोकप्रिय हिन्दी लेखन इनका प्रिय शौक है। आप उज्जैन(मध्यप्रदेश ) में रहते हैं।
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