अपने साहित्य से संसार में एकता, समरसता एवं समानता की खुशबू बिखेरने वाले कवि सुनील चौरसिया ‘सावन’ को बांग्लादेश का साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक मंच ‘द ड्रीम ऑफ इक्वालिटी’ ने ‘समानता का आकाशदीप’ (बेकन ऑफ इक्वालिटी) सम्मान से नवाजा। इस वैश्विक मंच के संस्थापक डॉ. समर भौमिक ने ‘सावन’ को सम्मानित कर आपके उज्जवल भविष्य की कामना की। इस संस्था का मूल उद्देश्य है – जगत में एकता , समरसता एवं समानता की सरिता को प्रवाहित कर भाईचारे के भाव को पल्लवित पुष्पित करना।
ग्राम- अमवा बाजार, पोस्ट- रामकोला, जिला- कुशीनगर, उत्तर प्रदेश निवासी कवि ‘सावन’ ने दोनों देशों के बीच मधुर संबंध स्थापित करते हुए एवं समरसता का कुसुम खिलाते हुए कहा कि हमारा खून का रिश्ता है । हम एक थे, एक हैं और एक रहेंगे। गंगा मैया अपने दोनों बालकों (भारत और बांग्लादेश) को अपनी गोद में पालती है । हम सब भाई – भाई हैं ।
केंद्रीय विद्यालय टेंगा वैली अरुणाचल प्रदेश में स्नातकोत्तर शिक्षक हिन्दी पद पर अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे सुनील चौरसिया ने अपने सद्य प्रकाशित काव्य संग्रह ‘हाय री! कुमुदिनी’ से ‘आसान नहीं है भाई’, ‘मैं कौन हूं’, ‘पत्थर बनकर गुलाब होना’, ‘देश के बच्चे कितने सच्चे’, ‘दिल में देशभक्ति’, ‘बात कहें सांचे सुनील चौरसिया, ‘ताजमहल’, ‘कुहू – कुहू बोले रे कोयलिया’ इत्यादि कविताएं भी सुनाईं जिसे भारत और बांग्लादेश के विद्वानों स्राबन्ती गायेन, मीरा मुर्गुल, स्नेजाना मिलोवानोव, अनामिका मजमूदार , अर्चना पाण्डेय, तपन, चन्दन दास, अमर ,बिप्लोब, मल्लिका, मुहेदिन महिलाज इत्यादि ने खूब सराहा।
राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न सम्मानों से सम्मानित कवि 'सावन' के दो काव्य संग्रह भी प्रकाशित हो चुके हैं । आपके जीवन पर आधारित डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी बनी हुई है। विदेश में सम्मानित होने पर कवि 'सावन' के साथियों एवं शुभचिंतकों ने बधाइयां दीं। क्षेत्र में खुशी एवं जश्न का माहौल है।