बिहार|
लक्ष्य संस्था द्वारा वीडियो कांफ्रेंसिंग ऑनलाइन ईद मिलन एवं मुशायरे का आयोजन किया गया।
मुशायरे कीअध्यक्षता प्रसिद्ध गजलकऻर डॉक्टर् मनसूर हसन खा मनसूर ने की, मुख्य अतिथि गजलकार श्री संजय मल्होत्रा, हमनवा विशिष्ट गजलकार श्री आहत लखनवी थे।
थे। मुशायरे का सफल संचालन गोबर गणेश ने किया
वाणी वंदना प्रसिद्ध गीतकार सुश्री निशा सिंह नवल द्वारा की गई।
प्रथम पुष्प के रूप में लखनऊ की युवा शायरा ने यह सुंदर गजल सुनाकर लोगों की वाहवाही लूटी
हौंसला हार के जाने वो किधर जाती है।
एक उम्मिद सरे राह बिखर जाती है।
हमने देखा है कि तिनके की तमन्ना ले कर,
एक चिडियाँ जो भटकते हुए मर जाती है।
सुल्तानपुर के शायर निजाम सुल्तानपुरी ने एकता पर यह गजल सुनाकर के दिलों को जीत लिया
एकता की साख फला काटोगे कब तक, निजाम।
इनके रिश्ते हैं मधुर, बहुत पुराना साथ है।।
इसके पश्चात लखीमपुर की
शायरा असमा सबा ख़्वाज कौमी एकता पर यह गजल सुनाकर लोगों को दिलों को जीत लिया
हमको पैग़ाम देता है अपना वतन
सबको आपस में रहना सिखा दीजिये ।
अब न मन्दिर न मस्जिद गिराए कोई
इक मिसाल ऐसी मिलकर बना दीजिए।
दिल्ली के शायर अरविंद असर ने यह सुंदर दोहा सुना कर लोगों को ताली बजाने पर मजबूर कर दिया
सबकी गर्दन पर टंगी, एक नई शमशीर।
गुप्त कैमरे हर कहीं, खींच रहे तस्वीर।
वाड़ी बंदना कर चुकी गीतकार सुश्री निशा सिंह नवल ने आज के हालात पर यह गीत सुनाया
वक्त यह जैसा कहेगा अब तुम्हें ढलना पड़ेगा
आँधियों में ओ मुसाफिर अनवरत चलना पड़ेगा
लाख बाधायें भले ही
अब तुम्हें आकर डरायें
हों भले अवरोध कितने
पग न लेकिन डगमगायें
स्वांस में विश्वास लेकर यह समर लड़ना पड़ेगा
आंधियों में ओ मुसाफिर अनवरत चलना पड़ेगा
मुशायरे का सफल संचालन कर रहे हास्य कवि गोबर गणेश ने लॉकडाउन में पतियों की व्यथा पर यह कविता सुनाई
मैडम जी आराम फरमा रही हैं
हुकुम चला रही है
पति से कपड़े धुलवा रही हैं
बच्चों को नहलवा रही है
खुद मेकअप करने में व्यस्त नजर आ रही हैं
दर्पण देखे जा रही है, जैसे लग रहा है,ब्यूटी कॉन्टेस्ट में भाग लेने जा रही हैं
पति को नौकर समझ रही है
घर का काम करना कितना मुश्किल होता है बता रही है
लॉकडाउन में हम महिलाओं की भगवान ने सुन ली अपने पतियों को समझा रहीं है।
कानपुर के शायर अतुल दिलबर ने यह सुंदर गजल सुनाई
फज़ा भी है नशीली सी हवाएं भी मुअत्तर हैं,
इसी जानिब मोहब्बत का फ़रिश्ता आने वाला है।
मुशायरे के मुख्य अतिथि
गजलकार श्री आहत लखनवी ने ईद पर यह सुंदर गजल सुनाकर लोगों को दिलों को जीत लिया
चाँद दिख जाये ज़माने की ईद हो जाये
फूल खिल जायें वीराने की ईद हो जाये
मुस्कुराकर जो नज़र कर दो हमारी जानिब
हाय रब्बा तो दीवाने की ईद हो जाये
मुख्य अतिथि शायर श्री संजय मल्होत्रा, हमनवा ने धर्म के ठेकेदारों पर कटाक्ष करते हुए यह गजल सुनाकर लोगों को ताली बजाने पर मजबूर कर दिया
अपने अपने मजहब के तो ठेकेदार हजारों हैं, जिसको हर मजहब हो प्यारा ऐसा कोई नहीं मिलता।
मुशायरे की अध्यक्षता कर रहे गजलकार डॉक्टर मनसूर हसन खा, मनसूर ने ईद पर यह सुंदर गजल सुनाकर लोगों के दिलों को जीत लिया
वह कभी राह में मिलता है न घर आता है
ईद का चांद है मुश्किल से नज़र आता है
दिल से दिल कोई मिलाए तो कोई बात बने
गले मिलने का तो हमको भी हुनर आता है।
अंत में धन्यवाद ज्ञापन कवियों एवं शायरों के प्रति संस्था ही प्रचार मंत्री सुश्री निशा सिंह, नवल द्वारा किया गया।