कोविड-19 बच्चों के तन ही नहीं, मन पर भी छोड़ रहा है गहरा प्रभाव

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कोरोना के दूसरे लहर में बच्चों में संक्रमण का दर अधिक देखने को मिल रहा है और उनके लिए वैक्सीन उपलब्ध नहीं है इसलिए उन्हें अधिक सावधानी एवं सतर्कता रखने की आवश्यकता है। बच्चे अपने साथियों से मिलने के लिए बेचैन है। घर के सीमित दायरे में बने रहने की लंबी अवधि के कारण उनमें अनेक मनोवैज्ञानिक एवं व्यावहारिक समस्याएं देखने को मिल रही है। हेल्थ डे न्यूज़ (15 मार्च, 2021) के एक रिपोर्ट में शोध के हवाले से कहा गया है कि वर्तमान परिवेश में 46% बच्चों में मनोवैज्ञानिक एवं मानसिक समस्याएं देखी जा रही है। लड़कों में लड़कियों की अपेक्षा अधिक समस्याएं पाई जा रही है। दुश्चिंता/चिंता (36% लड़कों व 19% लड़कियों में), अवसाद (31% लडकों व 18% लड़कियों में), नींद की समस्या (24% लड़कों व 21% लड़कियों में), परिवार के सदस्यों से अलग-थलग रहना (14% लड़कों व 13% लड़कियों में), आक्रामक व्यवहार (8% लड़कों व 9% लड़कियों में) पाया जा रहा है।

कोरोना की दूसरी लहर ने एक बार फिर दुनिया में भय और तनाव का वातावरण बना दिया है। इसका सबसे खराब प्रभाव बच्चों के भावनाओ व संवेगों पर देखा जा रहा है। बच्चों को स्वाभाविक वातावरण नहीं मिल पा रहा है, उन्हें अधिकांश समय घरों में रहना पड़ रहा है। घर के बाहर जाने के मौकों पर भी कोविड-19 के संक्रमण के खतरे के कारण उन्हें अनेक पाबंदियों का सामना करना पड़ रहा है। इन परिस्थितियों के कारण उनमें व्यावहारिक समस्याओं के साथ-साथ अनेक संवेगात्मक समस्या के लक्षण दिख रहे हैं। सोशल डिस्टेंसिंग की स्थिति में एकांकी परिवार के बच्चों में सबसे ज्यादा अकेलापन एवं उदासी की संभावना है। बच्चे कोमल मन के होने से भावनात्मक रूप से जल्दी विचलित हो जाते हैं। बच्चों के कोमल मन एवं संवेदनशील दिमाग पर कोरोना वायरस से जुड़ी खबरें अनेक संवेगिक समस्याएं खड़ी कर रही हैं।

बच्चों की प्रमुख मनोवैज्ञानिक समस्याएं:-

भयभीत रहना

चिंतित रहना

चिड़चिड़ापन

आवेश पूर्ण व्यवहार

अपनी रुचि के कार्य में भी मन न लगना

नकारात्मक सोच की अधिकता

अकेलापन महसूस करना

छोटी-छोटी बातों के लिए जिद करना

तनावग्रस्त रहना

स्वयं को चोट पहुचाना

नींद में घबराकर उठ जाना

भूख में कमी

उदासी

अकेलापन

अनियमित दिनचर्या

व्यावहारिक समस्याएं

निवारण के उपाय:-

रोजाना बच्चों के से कुछ नई गतिविधियां कराएं

बच्चों के दिनचर्या नियमित रखने का प्रयास करें

टीवी एवं मोबाइल पर अत्यधिक समय व्यतीत न करने दें

कोरोना संबंधित समाचारों को अधिक खोजने, पढ़ने एवं देखने न दें

सृजनात्मक कार्यों के लिए वातावरण प्रदान करें

बच्चों से खुलकर बातें करें

भविष्य के लिए अच्छी योजनाएं बनाएं

भूतकाल की अच्छी यादों को दोहराएं जैसे- बर्थडे पार्टी, शादी पार्टी इत्यादि के फोटो एवं वीडियो देखें

बच्चों के साथ नए-नए खेल खेलें

बच्चों के साथ अंताक्षरी खेले

बच्चों के साथ नृत्य करें

समूह गायन करें

बच्चों को कहानियां सुनाएं

बच्चों को उनके उम्र एवं क्षमता के अनुरूप घरेलू कार्यों को करने का अवसर प्रदान करें तथा उनकी प्रशंसा करें

बात-बात पर उन्हें न टोके, प्यार से समझाएं

उनके मनपसंद के भोजन बनवाएं

सुबह-शाम शारीरिक ब्यायाम कराएं

पूजा एवं प्रार्थना में उन्हें भी शामिल करें

योग व ध्यान का अभ्यास कराएं

अच्छी कहानी की पुस्तकें पढ़ने के लिए दें

फोन व वीडियो कॉल के माध्यम से उनके दोस्तों से बातचीत कराते रहें

अतार्किक मांगों की पूर्ति न करें

नए कौशलों को सीखने के लिए प्रोत्साहित करें जिनमें उनकी रूचि हो

बच्चों को भय का सामना करना तथा उस पर विजय प्राप्त करना सिखाए

बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाएं डराएं नहीं, उन्हें महसूस कराएं कि वे सुरक्षित हैं।

माता पिता अपने बच्चों के शारीरिक स्वास्थ्य के लिए सतर्क एवं प्रयासरत रहते हैं किंतु आज के परिवेश में अभिभावकों को अपने बच्चों के मनोवैज्ञानिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी जागरूक रहना होगा क्योंकि मानसिक स्वास्थ्य ठीक न रहने से बच्चों की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली भी कमजोर होता है, इसलिए महामारी में बच्चों के शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक रूप से मजबूत बनाने के लिए प्रयास भी नितांत आवश्यक है।

डॉ मनोज कुमार तिवारी

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