जगुआ को मरे आज पूरे पन्द्रह साल हो गये | उसकी बेटी भूरी जवान हो चुकी है | उसके जैसी सुंदर चाल-ढाल वाली लड़की पूरे गांव में तो क्या पूरी तहसील में नहीं है | उसके सौन्दर्य पर पागल हो रहे गाँव के मुखिया का लड़का साहिल हमेशा इसी ताक में रहता कि कब भूरी को अपनी हवश का शिकार बनाया जाये | परन्तु हरिजन बस्ती में वो सफल नहीं हो पा रहा था |
ऊंचे टीले वाले बाबा के पास अक्सर साहिल जाया करता था, और आश्रम पर खूब नशा-दारू का दौर चलता | एक दिन साहिल ने बाबा को अपने दिल की बात बता दी | बाबा जी ने अपना शैतानी दिमाग चलाया | दूसरे दिन आश्रम पर भजन कीर्तन का कार्यक्रम रचाया | पूरे गांव को न्यौते पर बुलाया | अवसर पाकर प्रसाद में भांग मिलाकर भूरी को खिलाया |
भांग ने अपना रंग दिखाया, भूरी को नशे का जोश आया | बाबाजी ने बताया, कि पीपल वाला भूत भूरी पर आया | सारी रात इलाज करना पड़ेगा | भूरी को आज आश्रम पर ही रहना पड़ेगा | भूरी को साहिल, बाबा और कुछ अन्य चेलों ने रातभर नोंचा… |
और सुबह बेचारी भूरी जब होश में आई तो चाहकर भी किसी से कुछ कह न सकी | अपने रिसते जख्म किसी को दिखा भी न सकी…|
मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
फतेहाबाद, आगरा