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बह्र- फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
देख के तुम मुस्कुराओ तो सही
दिल में चाहत तुम जगाओ तो सही
दर हक़ीक़त हिज़्र की यूँ रात में
वस्ल का वादा निभाओ तो सही
हो ज़ुलम की जितनी इंतेहा यहाँ
दास्ताँ अपनी सुनाओ तो सही
मुद्दतों से नींद आती अब नही
सपने में तुम अब बुलाओ तो सही
दर्द भी मेरा मुझे मंज़ूर है अब
ज़ाम नज़रों से पिलाओ तो सही
अब्र में यूँ टिमटिमाता तारा हूँ
सब्र को तुमआज़माओ तो सही
छल कपट दिल से निकालो यारों अब
दोस्ती दिल से निभाओ तो सही
–आकिब जावेद
बाँदा,उत्तर प्रदेश