हिंदुस्तान के ह्रदय स्थल मध्यप्रदेश, में पिछले दिनों घटित दो अकल्पनीय घटनाओं, अकल्पनीय इसलिए कहा जा सकता है जिसके द्वारा अपराध की कल्पना भी न कि जा सके अगर रक्षक ही भक्षक बन जाये तो न्याय और विस्वास की उम्मीद किससे करे।इन दो घटनाओं नें प्रशासनिक व्यवस्था को शर्मसार कर दिया।एक तरफ सफेदपोश कथित पत्रकार प्यारे मियां का मामला तो दूसरी तरफ गुना में गरीब किसान पर पुलिस की गुंडागर्दी से यह साबित हो गया कि खाकी ने समाज के सफेदपोश सम्पन्न अभिजात को अघोषित विशेषाधिकार दिए हुए है।तभी तो प्यारे मियां जैसा हवसी दरिंदा जब पुलिस की गिरफ्त में आता है तो पुलिस द्वारा न ही उसकी पिटाई होती है और न ही उसका जुलूस निकाला जाता है। लेकिन वही दूसरी तरफ गुना के गरीब किसान को पुलिस द्वारा जमकर गिरियाया और लतियाया जाता है।जिसको पुलिस अपना विशेष अधिकार माने हुए है जो घृणित तो है ही वही उससे भी ज्यादा घ्रणित यह है कि एक प्रभु वर्ग के समक्ष अपनी नपुंसकता की क्षतिपूर्ति एक अकिंचन वर्ग के बलात्कार से की जाती है। प्रदेश की राजधानी भोपाल से संचालित हो रहे जिस्म के कारोबार के बारे में अभी तक न पुलिस को पता था न ख़ुफ़िया तंत्र को,जबकि प्यारे मियां की हर महफ़िल में प्रदेश के चर्चित प्रसाशनिक और राजनीतिक चेहरे महफ़िल की शोभा बढ़ाते थे। कहने को तो गरीब किसान पर कहर बरसाने वाले पुलिस कर्मियों को ससपेंड पर जांच करवाने के नाम पर मामले को सम्हालने की कोशिश की जा चुकी है ।वही दूसरी तरफ कथित पत्रकार प्यारे मियां इतने सालों से राजधानी भोपाल में राजनीतिक छत्रछाया में न जाने कितनी मासूमों की जिंदगी तबाह कर चुका है।क्या इसकी भनक खुफियातंत्र को नही थी।कहने को प्यारे मियां पुलिस रिमांड पर है पर जांच का विषय देह व्यापार के अलावा तो यह है कि आखिर प्यारे मियां का कश्मीर कनेक्शन क्या है। कश्मीर में इसकी मदद करने वाला कौन सा आका है।किसके दम पर यह फरारी काटने कश्मीर गया था ।काबिले गौर हो कि कानपुर का लिस्टेड गुंडा विकास दुबे कानपुर से भागकर मध्यप्रदेश आया फरारी काटने जहाँ उसने सरेंडर किया ।वही हनी ट्रेप का शिकार हुए लोकस्वामी अखबार के मालिक जीतू सोनी ने गुजरात मे फरारी काटी जहाँ से उनको गिरफ्तार किया गया।इस बात से यह नकारा नही जा सकता कि पुलिस से भागकर आरोपी वही फरारी काटने पहुँचते है जहाँ उनको सुरक्षा की गारंटी होती है। प्यारे मियां भी अपने आकाओं के पास भागकर फरारी काटने कश्मीर पहुँच गए। यह जांच का विषय है कि आखिर प्यारे मियां के कश्मीर कनेक्शन क्या है।कौन है मियां का सरफरस्त,कही कश्मीर के रास्ते पाकिस्तान तो नही जाना चाहता था मियां।इतिहास गवाह है जब जब देश मे आतंकियों ने हरक़त करने की कोशिश की है तब तब कश्मीरी बेरोजगार युवाओं को जेहाद के नाम पर जरिया बनाया गया है।कथित पत्रकार प्यारे मियां राजधानी भोपाल से जिस्म का कारोबार कई वर्षों से संचालित कर रहा था । होली ,दीवाली पर मिलन समारोह के नाम पर आयोजित होने वाली पार्टियों में कई आई ए एस ,आई पी एस, अधिकारी एवं कई नेता शामिल होते थे।जिनकी छत्रछाया में देह व्यापार संचालित होता आ रहा था।अपने आप को पत्रकार कहलाने वाला कथित पत्रकार प्यारे मियां पर सरकारी तंत्र इस कदर मेहरबान था कि उसको सरकारी बंगला तक अलॉट था।राजधानी भोपाल में जिस्म का कारोबार किस कदर अपने पैर पसार रहा इसका अंदाजा मध्यप्रदेश के बहुचर्चित हनी ट्रेप कांड से लगाया जा सकता है।जिसने न जाने कितने सफेदपोश चेहरों को हम्माम में नंगा कर दिया। लेकिन चेहरे राजनीतिक ओरा में ढके रहे।प्रदेश की सत्ता बदल गयी लेकिन चेहरे बेनकाब नही हुए। चिंता का विषय तो यह है कि प्यारे मियां जिस्म फरोसी तक सीमित नही था। वह देश विरोधी गतिविधियां भी संचालित कर रहा था। वही दूसरी तरफ उसके घर से हिरन के सींग मिलना जानवर तस्करी की तरफ इशारा करते है।जिसके कनेक्शन कही न कही पाकिस्तान से होने की संभावना को नकारा नही जा सकता।प्यारे मियां के सम्बंध अधिकारियों और बड़े नेताओं से जगजाहिर है।इसी की आड़ में वह अपने कृत्यों को अंजाम दे रहा था। जिस्मफरोशी के अलावा प्यारे मियां देश विरोधी गतिविधियां भोपाल से संचालित कर रहा था जिसके तार कश्मीर से जुड़े है। एन आई ए अगर गम्भीरता से जांच करे तो प्यारे मियां द्वारा संचालित देश विरोधी गतिविधियों से पर्दाफाश हो सकता है….
#शीतल रॉय