आत्म हत्या का कारण
बातुक-संवाद
बातुक और रोजकुमार की दोस्ती प्रगाढ़ हो चली थी। ऐसा लगता था, मानो दो जिस्म एक जान हों।कोई भी समस्या होती तो राजकुमार बातुक से अवश्य पूछते।एक दिन राजकुमार ने बातुक से पूछा?
बातुक! लोग आत्म हत्या क्यों इतनी ज्यादा करने लगे हैं?
बातुक कुछ समय तो सोच में पड़ गया जबाब तो देना था, वो भी राजकुमार के मन के अनुरूप तो वह सोचकर बोला?
कई कारण है आत्महत्या के
कहीं गरीबी तो कही अमीरी
कोई किसान तो कोई सेलेब्रिटी
लेकिन सभी कारण नस ढीली।
राजकुमार झुंझला गये अर्थात उन्होंने कहा ये क्या बोला हमें तो तुम्हारी भाषा कभी सरल नहीं लगती।सरल भाषा में समझाकर कहो।
हजूर! यब आत्म हत्या करने वाले कोई भी हो सकते है। पर वे दो ही तरह के होते है गरीब या अमीर।गरीबी से तंग आकर तो कोई अमीरी से लेकिन आत्म हत्या की वजह एक ही होती है वो है मानसिक कमजोरी जिसे डिप्रेशन पागलपन अवसाद जो भी कहें ।ऐसी स्थिति किसी भी इंसान के साथ हो सकती है ज्यादा खुशी होने पर या ज्यादा दुखी होने पर।
इससे बचने का उपाय क्या है बातुक?
बातुक बोला!
वृहत की चाहत छोडिए
संतोष की आदत डालिए
धन मन त्रिया चरित्र
से दूर ही भागिये।
अर्थात ज्यादा बनाने का आदत त्यागना ही होगा जितना मिल जाय उसमें संतोष करना परम आवश्यक है। धन की जिज्ञासा छोड़कर कर कर्म में मन लगाना होगा।जिससे आपके मन पवित्र रहेंगे और मन स्वस्थ रहेंगे। चरित्रहीन से प्रेम प्यार चरित्रहीन स्त्री, चरित्रहीन लोगों से बचना होगा। तभी इस डिप्रेशन रूपी अवसाद से बचा जा सकता है वर्ना ऐसे ही नित आत्महत्या की रस्सी पीछा कर निगलती जाएगी जीवन को।
राजकुमार बोले !
वाह बातुक हम तुम्हारी बातें सुनकर अति प्रसन्न हुए।
आशुतोष
पटना बिहार