एक असली कोरोना योद्धा : जीतेन्द्र वर्मा

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मैं राजनेताओं पर बहुत ही कम कलम घिसता हूँ, क्योंकि अधिकांश राजनेताओं की छवि मेरी नजर में एक जैसी ही है | दुनिया जानती है भारतीय राजनेता कैसे होते हैं | अपवाद को छोड़ दें तो वर्तमान में जमीन से जुड़ा राजनेता शायद ही आपको नजर आये | लेकिन लॉक डाउन के समय में आगरा जनपद के देहात क्षेत्र का एक एेसा विधायक नजर आया, जिसके जनसेवा से जुड़े कार्यों ने मुझे लिखने पर मजबूर कर दिया |

जहाँ कोरोना महामारी के समय जनपद आगरा के अधिकांश राजनेता चाहे वे भूतपूर्व हों या वर्तमान जो बड़े-बड़े पदों पर थे या हैं और किसी भी पार्टी के रहे हों | वे दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे, वहीं माननीय विधायक फतेहाबाद जीतेन्द्र वर्मा जी रोज आपको सड़कों पर, गली-मुहल्लों, चौराहों, खेत-खलियानों में जन सेवा करते नजर आयेंगे |

उन्होंने अपने निजी खर्च व सहयोगियों की मदद से प्रवासी पैदल यात्रा कर रहें सैकड़ों मजदूरों को बस सेवा सहित खाने-पीने की व्यवस्था उपलब्ध कराई | उनकी यह सेवा काबिले तारीफ है | इससे पहले अपने क्षेत्र की जनता की वे हर तरह से मदद करते आ रहे हैं | और किसानों – मजदूरों की हर संभव मदद कर रहे हैं | सम्पूर्ण लॉक डाउन के समय प्रतिदिन उन्होंने अपनी सामर्थ्यानुसार राशन-पानी की व्यवस्था जगह-जगह स्वयं की देखरेख में की है और अनवरत कर रहे हैं |

आपको बतादें कि माननीय जीतेन्द्र वर्मा ने अपने जीवन काल में तमाम उतार-चढाव देखे हैं | वे एक कृषक परिवार से राजनीति में आये हैं | इसलिये वे सहज ही एक गरीब-मजदूर का दर्द समझ सकते हैं |

माननीय प्रधानमंत्री के आह्वान पर उन्होंने अपनी विधायक नीधि का अधिकांश हिस्सा सरकार को दान कर दिया था | इसलिए हम यह भी नहीं कह सकते कि वे सरकारी पैसे से ही जनसेवा कर रहे हैं | ऐसे असली कोरोना योद्धा को हमारा कोटिश: वंदन |

ईश्वर कृपा और आपके द्वारा की जा रही जनसेवा से आप नित नई-नई ऊचाइयाँ छूते रहें, माँ भारती की सेवा ऐसे ही अनवरत करते रहें | शुभकामनाओं सहित !

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

#मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

परिचय : मुकेश कुमार ऋषि वर्मा का जन्म-५ अगस्त १९९३ को हुआ हैl आपकी शिक्षा-एम.ए. हैl आपका निवास उत्तर प्रदेश के गाँव रिहावली (डाक तारौली गुर्जर-फतेहाबाद)में हैl प्रकाशन में `आजादी को खोना ना` और `संघर्ष पथ`(काव्य संग्रह) हैंl लेखन,अभिनय, पत्रकारिता तथा चित्रकारी में आपकी बहुत रूचि हैl आप सदस्य और पदाधिकारी के रूप में मीडिया सहित कई महासंघ और दल तथा साहित्य की स्थानीय अकादमी से भी जुड़े हुए हैं तो मुंबई में फिल्मस एण्ड टेलीविजन संस्थान में साझेदार भी हैंl ऐसे ही ऋषि वैदिक साहित्य पुस्तकालय का संचालन भी करते हैंl आपकी आजीविका का साधन कृषि और अन्य हैl

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।