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मां का सम्मान करो,उस पर स्वाभिमान करो।
उसका कभी न अपमान करो,न अपमान करो।।
मां कितने अरमानों से पालती है तुम्हे सदा ।
उसके अरमानों को सहेजे सदा सहेजे सदा।।
मां की ममता का स्थान ले सकता कोई नहीं।
उसकी ममता का मोल नहीं,कोई तोल नहीं ।।
मां पहली शिक्षक है,अच्छी शिक्षा देती हैं सदा ।
उसकी शिक्षा को अपनाओ सदा अपनाओ सदा।।
मां जो दूध पिलाती है,उसको लजाओ न कभी ।
इसकी तुलना करो न कभी किसी करो न कभी ।।
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम
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