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जीवन चुनौतियों से रहित हो, यह जरूरी तो नहीं..
जीवन में सब कुछ ठीक हो, यह जरूरी तो नहीं..
तेरे हिस्से में हो बेशक खुशियां बेशुमार, कोई गिला नहीं..
मेरे हिस्से हो महज़ गमों का पहाड़, जरुरी तो नहीं..
ये मौत का आंगन है, जिसमें जिंदगी की परीक्षा..
आसान हो फिर हर सवाल , जरूरी तो नहीं..
यह पल खास धर्य की परीक्षा का है..
जीवन में रहे हर पल मौज, जरूरी तो नहीं.
गोविंदशर्मा “गोविंद”
इन्दौर
पत्रकार व यथार्थवादी चिंतक
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