सौभाग्यवती स्त्रियोँ का पर्व है करवा चौथ

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  • कवि,साहित्यकार हिंदुओं का पवित्र त्योहार करवा चौथ सम्पूर्ण देश मे कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। ग्रामीण स्त्रियों से लेकर आधुनिक महिलाओं तक सभी महिलाएं करवा चौथ का व्रत अवश्य करती है। उनमें बड़ी श्र्द्धा व विश्वास उत्साह के साथ सौभाग्यवती स्त्रियां इस पर्व को मनाती हैं। इस पर्व को होई अष्टमी या तीज की तरह ही उल्लास से मनाया जाता है।
    पति की दीर्घायु व अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है। दिन भर उपवास रखकर रात में चंद्रमा को अर्ध्य देने के बाद ही भोजन का विधान है। अपने परिवार में प्रचलित परम्परा के अनुसार ही करवा चौथ महिलाएं मनाती है।लेकिन निराहार बिना जल ग्रहण किये दिन भर महिलाएं उपवास रखती है। चन्द्रोदय होने पर पूजा करती है। अर्ध्य देती है। फिर आंक में अपने पति का मुखड़ा देखती है। मेरा चाँद मुझे आया है नजर। इस व्रत को करने का अधिकार केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को होता है। वे अपने पति की आयु स्वास्थ्य व सौभाग्य की कामना करती है। यह व्रत 12 वर्ष या 16 वर्ष तक लगातार किया जाता है। अवधि पूरी होने के बाद इस व्रत का उपसंहार यानी उद्धापन कर दिया जाता है। जो आजीवन करना चाहती है वे कर सकती है। इस व्रत के समान सौभाग्यदायक व्रत और कोई नहीं है। अतः सुहागिन स्त्रियों को ये व्रत निरन्तर करना चाहिए।
    राजस्थान के चौथ का बरवाड़ा में चोथ माता मन्दिर पर इस दिन खूब भीड़ रहती है चौथ माता मंदिर भीमसिंह चौहान ने बनवाया था।
    इस दिन महिलाएं प्रातः स्नान कर अपने पति की आयु स्वास्थ्य आरोग्य का संकल्प लेकर दिनभर निराहार रहती है । भगवान शिव पार्वती कार्तिकेय गणेश जी की पूजन करती है। पूजन करने के बाद बालू अथवा सफेद मिट्टी की बेदी बनाकर सभी देवों को स्थापित करती है।शुद्ध घी में आटे को सेककर उसमे शक्कर अथवा खांड़ मिलाकर मोदक नैवेद्य हेतु बनाती है।काली मिट्टी में शक्कर की चाशनी मिलाकर उस मिट्टी से तैयार किये गए मिट्टी के करवे या तांबे के करवे 10 या 13 अपनी सामर्थ्य के अनुसार रखती है।करवों में लड्डू रखकर नैवेद्य चढ़ाया जाता है एक लौटा एक वस्त्र व एक विशेष करवा दक्षिणा के रूप में अर्पित कर पूजन का समापन होता है।सायंकाल चन्द्रमा की पूजा व अर्ध्य देते हैं। इसके पश्चात सुहागिन स्त्रियां व पति के माता पिता को भोजन कराएं। भोजन के उपरांत ब्राह्मणों को यथाशक्ति दक्षिणा देने का विधान है।पति की माता को लौटा वस्त्र विशेष करवा भेंट कर बाद में घर के सभी सदस्य भोजन करें।
    इस प्रकार करवा चौथ मनाई जाती है।

#राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’

परिचय: राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’ की जन्मतिथि-५ अगस्त १९७० तथा जन्म स्थान-ओसाव(जिला झालावाड़) है। आप राज्य राजस्थान के भवानीमंडी शहर में रहते हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर किया है और पेशे से शिक्षक(सूलिया)हैं। विधा-गद्य व पद्य दोनों ही है। प्रकाशन में काव्य संकलन आपके नाम है तो,करीब ५० से अधिक साहित्यिक संस्थाओं द्वारा आपको सम्मानित किया जा चुका है। अन्य उपलब्धियों में नशा मुक्ति,जीवदया, पशु कल्याण पखवाड़ों का आयोजन, शाकाहार का प्रचार करने के साथ ही सैकड़ों लोगों को नशामुक्त किया है। आपकी कलम का उद्देश्य-देशसेवा,समाज सुधार तथा सरकारी योजनाओं का प्रचार करना है।

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