जख्म इतने हैं मेरे दिल मे, कि कलम मेरी खून उगलती है!
पर उन लोगों से अच्छी है, जिनकी पसन्द रोज बदलती है!!
जो धोखाधड़ी का जाल बुनकर, ठग लेते हैं भावनाओ को!
उनसे तो भली कलम मेरी, जो हर मुद्दे पर फिर संभलती है!!
झूठ फरेब के बिछाते है, जो लोग गुलाब किसी की राहो में!
मेरी तो ये कलम फिर,उनका सच लिखने को मचलती है!!
मिटा देते उम्मीद किसी की, बदल डालते जो जिंदगी को!
उस दर्द को शब्दों में पिरोकर,कलम मेरी फिर से उभरती है!!
लाख टूटे हो अरमान मेरे, हजारों खाई हो भले ही चोटें मैंने!
पर “मलिक” कलम तेरी, तेरी खुशी खातिर फिर सवंरती है!!
पर उन लोगों से अच्छी है, जिनकी पसन्द रोज बदलती है!!
#सुषमा मलिक “अदब”
परिचय : सुषमा मलिक की जन्मतिथि-२३ अक्टूबर १९८१ तथा जन्म स्थान-रोहतक (हरियाणा)है। आपका निवास रोहतक में ही शास्त्री नगर में है। एम.सी.ए. तक शिक्षित सुषमा मलिक अपने कार्यक्षेत्र में विद्यालय में प्रयोगशाला सहायक और एक संस्थान में लेखापाल भी हैं। सामाजिक क्षेत्र में कम्प्यूटर प्रयोगशाला संघ की महिला प्रदेशाध्यक्ष हैं। लेखन विधा-कविता,लेख और ग़ज़ल है। विविध अखबार और पत्रिकाओ में आपकी लेखनी आती रहती है। उत्तर प्रदेश की साहित्यिक संस्था ने सम्मान दिया है। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी आवाज से जनता को जागरूक करना है।