एक दिन रामकृष्ण परमहंस शिष्यों के साथ भ्रमण करते हुए एक नदी के तट पर पहुंचे।वहां कुछ मछुए जाल फेंककर मछलियां पकड़ रहे थे।एक मछुए के समीप जाकर स्वामी जी खड़े हो गए और शिष्यों से कहा – तुम लोग ध्यानपूर्वक इस जाल में फंसी मछलियों की गतिविधियां देखो।
शिष्यों ने देखा कि कुछ मछलियां इस जाल में निश्चिन्त पड़ी हैं और उन्होंने निकलने का कोई प्रयत्न नहीं किया।कुछ निकलने का प्रयत्न तो करती रहीं, परन्तु निकल न सकीं और कुछ जाल से निकलकर पुनः जल में क्रीड़ा करने लगीं।
स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने शिष्यों से कहा- जिस प्रकार मछलियां तीन प्रकार की होती हैं, उसी प्रकार मनुष्य भी तीन प्रकार के होते हैं।एक श्रेणी उनकी है, जिनकी आत्मा ने जीवन का बंधन स्वीकार कर लिया है और वे इस भ्रमजाल से निकलने की बात सोचते ही नहीं। सदैव निश्चिन्त रहते हैं। दूसरी श्रेणी ऐसे व्यक्तियों की है जो वीरों की भांति प्रयत्न तो करते हैं परन्तु मुक्ति से वंचित ही रहते हैं। तीसरी श्रेणी उन मनुष्यों की है जो भगीरथ प्रयत्न द्वारा अन्त में मुक्ति प्राप्त कर ही लेते हैं ।
परमहंस की बात समाप्त हुई। तब एक शिष्य ने कहा- गुरुदेव एक चौथी श्रेणी भी है जिसके सम्बन्ध में आपने कुछ बतलाया नहीं।गुरुदेव जी ने कहा- हां चौथी प्रकार की मछलियों की तरह ऐसी महान आतमाएं भी होती हैं जो जाल के निकट ही नहीं जातीं। तो फिर उनके फंसने का प्रश्न ही नहीं उत्पन्न होता।
#शशांक मिश्र
परिचय:शशांक मिश्र का साहित्यिक नाम `भारती` और जन्मतिथि १४ मई १९७३ है। इनका जन्मस्थान मुरछा-शहर शाहजहांपुर(उत्तरप्रदेश) है। वर्तमान में बड़ागांव के हिन्दी सदन (शाहजहांपुर)में रहते हैं। भारती की शिक्ष-एम.ए. (हिन्दी,संस्कृत व भूगोल) सहित विद्यावाचस्पति-द्वय,विद्यासागर,बी.एड.एवं सी.आई.जी. भी है। आप कार्यक्षेत्र के तौर पर संस्कृत राजकीय महाविद्यालय (उत्तराखण्ड) में प्रवक्ता हैं। सामाजिक क्षेत्र-में पर्यावरण,पल्स पोलियो उन्मूलन के लिए कार्य करने के अलावा हिन्दी में सर्वाधिक अंक लाने वाले छात्र-छात्राओं को नकद सहित अन्य सम्मान भी दिया है। १९९१ से लगभग सभी विधाओं में लिखना जारी है। श्री मिश्र की कई पुस्तकें प्रकाशित हैं। इसमें उल्लेखनीय नाम-हम बच्चे(बाल गीत संग्रह २००१),पर्यावरण की कविताएं(२००४),बिना बिचारे का फल (२००६),मुखिया का चुनाव(बालकथा संग्रह-२०१०) और माध्यमिक शिक्षा और मैं(निबन्ध २०१५) आदि हैं। आपके खाते में संपादित कृतियाँ भी हैं,जिसमें बाल साहित्यांक,काव्य संकलन,कविता संचयन-२००७ और अभा कविता संचयन २०१० आदि हैं। सम्मान के रूप में आपको करीब ३० संस्थाओं ने सम्मानित किया है तो नई दिल्ली में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर वरिष्ठ वर्ग निबन्ध प्रतियोगिता में तृतीय पुरस्कार-१९९६ भी मिला है। ऐसे ही हरियाणा द्वारा आयोजित तीसरी अ.भा.हाइकु प्रतियोगिता २००३ में प्रथम स्थान,लघुकथा प्रतियोगिता २००८ में सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति सम्मान, अ.भा.लघुकथा प्रति.में सराहनीय पुरस्कार के साथ ही विद्यालयी शिक्षा विभाग(उत्तराखण्ड)द्वारा दीनदयाल शैक्षिक उत्कृष्टता पुरस्कार-२०१० और अ.भा.लघुकथा प्रतियोगिता २०११ में सांत्वना पुरस्कार भी दिया गया है। आप ब्लॉग पर भी सक्रिय हैं। आप अपनी उपलब्धि पुस्तकालयों व जरूरतमन्दों को उपयोगी पुस्तकें निःशुल्क उपलब्ध करानाही मानते हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-समाज तथा देशहित में कुछ करना है।