हिंदी है अगर तेरी मातृभाषा, तो हरियाणवी भी तेरी बोली है!
दोनों को साथ लेकर ना तू चला, आंख क्यों ना तूने खोली है!!
हिंदी तेरी की सीमा नही है, हरियाणवी की है सुषमा(१)निराली!
हिंदी है तेरी रुक्मणि सी, हरियाणवी है तेरी राधा वाली!!
ममता है तुझे हिंदी से बहुत, क्यों हरियाणवी से प्यार नही है?
जान निछावर है हिंदी पर, हरियाणवी जिंदगी का सार नही है?
दोनों हैं अगर तेरी अपनी तो, क्यो ना दोनों जान से प्यारी हैं!
परवाह नही हरियाणवी की, हिंदी पर तूने सभी खुशियां वारी हैं!!
भाषा फैली तेरे पूरे देश में तो, बोली भी तेरी अब कम नही है!
हिंदी ही तेरे मन भाए, हरियाणवी का क्यों तुझे गम नही है!!
हरियाणवी से तू भाग चला, बस हिंदी ही अब तुझको दिखी है!
देखली सारी दुनिया मैंने, सुषमा (२) बोली से ही सीखी है!!
ले चला तू सिर्फ हिंदी को साथ, बोली भी ना पीछे रह पाएगी!
जाने सारा देश अब इसको, “मलिक” की ये शान बढ़ाएगी!!
(१) सुषमा-सौंदर्य (२) सुषमा- नाम
#सुषमा मलिक “अदब”
परिचय : सुषमा मलिक की जन्मतिथि-२३ अक्टूबर १९८१ तथा जन्म स्थान-रोहतक (हरियाणा)है। आपका निवास रोहतक में ही शास्त्री नगर में है। एम.सी.ए. तक शिक्षित सुषमा मलिक अपने कार्यक्षेत्र में विद्यालय में प्रयोगशाला सहायक और एक संस्थान में लेखापाल भी हैं। सामाजिक क्षेत्र में कम्प्यूटर प्रयोगशाला संघ की महिला प्रदेशाध्यक्ष हैं। लेखन विधा-कविता,लेख और ग़ज़ल है। विविध अखबार और पत्रिकाओ में आपकी लेखनी आती रहती है। उत्तर प्रदेश की साहित्यिक संस्था ने सम्मान दिया है। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी आवाज से जनता को जागरूक करना है।