भाद्र मास शुक्ल पक्ष अष्टमी को ,
प्रकट भयी राधे रानी सुकमार।
दैव लोक से आ रहे,
सभी दैवता दर्शन को आज।
धन्य धन्य हो रही ब्रज भूमि,
जहाँ रावल में जन्म लियो।
जिस जिस ने दर्शन किये,
हुए पूर्ण सब काज।
धन्य धन्य माँ कीर्ति ,
धन्य धन्य विर्षभानु नन्दं।
जिनके घर मे जन्म लियो है।
तीन लोक की देवी ने आज।
बाज रही नौवत और शहनाई है।
झूम रहे सब बाल- ग्वाल ।
देख विडम्बना कैसी है,
कंस के अत्याचार सो
पठाय दियो ननसार।
बड़ी हुई जहाँ नानी के
घर मे ही मिला मात का प्यार।
आज है मंगल घङी जो
राधे रानी प्रकट भयी।
करे ‘संध्या’ अभिवंदन,
कर जोर करे प्रणाम।
माँ राधे दया करो,
सफल करो मम काम।।
संध्या चतुर्वेदी
मथुरा उप