#अनु अत्रीक़ुव्वत-ए-परवाज़: उड़ान भरने का बलपरिचय-नाम : अनुराधाक़लमी नाम : अनु अत्रीजन्म: अगस्त 1986, ऊधमपुर (जम्मू कश्मीर)साहित्यिक जगत में अभी ज़ियादा पहचान नहीं बना पाई हूँ। ज़ियादा समय अपने बच्चों और घर परिवार को संभालती हूँ और जब कभी वक़्त मिले तो कुछ न कुछ लिखने लगती हूँ।सोचा न था कि ज़िन्दगी में कभी लेखिका बनूँगी क्योंकि मुझे कभी यह एह़सास ही नहीं हुआ कि मैं लिख सकती हूँ अलबत्ता साहित्य पढ़ने का शौक़ गोया स्कूल के ज़माने से ही था। अख़बार में छपी कहानियाँ अक्सर पढ़ा करती थी। बा’द में मैगज़ीन आदि में छपी कविताएँ और कहानियाँ भी पढ़ने लगी।समय के चलते मुझे लिखने की ख़्वाहिश होने लगी । और धीरे धीरे मैंने भी लिखना शुरू कर दिया ।मेरी पहली कहानी ‘अधूरी ख़्वाहिशें’ और पहली कविता ‘सोचती हूँ कभी कभी’ 2015 में लिखीं।मुझे हमेशा अपने जैसे लिखने वालों की तलाश रहती थी जो लिखना चाहते थे मगर सामने नहीं आते थे।आज जिस मक़ाम पर हूँ अपने परिवार के सहयोग और अपने मित्रों की बदौलत हूँ।