साहित्य संगम संस्थान में धूमधाम से मनाया गया परिचय सम्मेलन

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*डॉ मीना भट्ट पूर्व जिला न्यायाधीशा वर्तमान अध्यक्षा लोकायुक्त जबलपुर के परिचय को साहित्यकारों के मध्य मिला आदर्श परिचय का खिताब*  
*रचनाकारों की आत्मकथा जीवन जीने की कला सिखाती है:-पुरोहित*
भवानीमंडी |
साहित्य संगम संस्थान दिल्ली( राष्ट्रीय पंजीकृत संस्थान )में आत्मकथा साहित्य के संवर्धनार्थ परिचय सम्मेलन का आयोजन किया । इस परिचय सम्मेलन में पचास से अधिक साहित्यकारों ने भाग लिया और करीब उन्तालीस साहित्यकारों का गौरवशाली परिचय मंच पर पोस्ट किया गया । मंच पर दिन भर गहमा-गहमी बनी रही । कुछ आत्मकथाएँ तो इतनी प्रेरक और आदर्श थीं कि जिन्हें पढ़कर तमाम लोग साहित्यसेवा के लिए सत्प्रेरित हो उठे । परिचय सम्मेलन में आ०भावना दीक्षित एवं आ०रिखबचंद राँका कल्पेश जी का योगदान अविस्मरणीय रहा ।  आ. श्री शैलेन्द्र खरे सोम जी,श्री नवीन कुमार भट्ट नीर जी, आद.श्री आशीष पाण्डेय जिद्दी जी, आद.श्री भगवान पाटीदार”जय”जी, आद.श्रीमती सरिता श्रीवास्तव जी, आद.श्रीमती डाँ नीलिमा तिग्गा. (नीलाम्बरी) जी, आ. कुमुद श्रीवास्तव वर्मा जी,आद.श्री राजन लिब्रा ‘राज’ जी, आद.श्रीअभिषेक औदीच्य जी, आद.श्रीमती अनिता मंदिलवार सपना जी, आद०चन्द्र पाल सिंह “चन्द्र” जी, आद.श्री अजय सिंह मंडलोई “उदय” जी, आद.श्री  सांवर अग्रवाल रासीवसिया जी असम, .आद. श्रीमती मीना भट्ट जी , आद. श्री एस.के. कपूर श्रीहंस जी, आद. श्री शिवकुमार लिल्हारे ‘अमन’ जी, आद. श्रीमती भावना शिवहरे जी, डाँ भावना दीक्षित, आद. श्री कैलाश मंडलोई “कदंब” जी, आद.श्री छगन लाल गर्ग”विज्ञ”जी, आद.श्री राज वीर सिंह जी, आद. लता खरे जी, आद. गुणवती गुप्ता “गार्गी” जी, आद. श्री राजेश कुमार तिवारी रामू जी, आद. श्री सुनील कुमार अवधिया “मुक्तानिल जी”, आद.श्री  रामावतार ‘निश्छल’ जी, आद. श्री रिखब चन्द राँका ‘कल्पेश’ जी, आद. डाँ अरूण कुमार श्रीवास्तव अर्णव जी, आद. तोता राम चौहान जी, आद. आरती डोंगरे जी, आद. रवि रश्मि ‘अनुभूति’ जी, आद. मनोज कुमार सामरिया ‘मनु’ जी, आद. तेजराम नायक जी, आद. शकुन्तला अग्रवाल “शकुन”जी, आद. शिवकुमारी शिवहरे जी, आद. श्री मती सरोज सिंह ठाकुर जी, आद. श्री विनोद कुमार “हँसौड़ा” जी ने अपना परिचय आत्मकथा के रूप में सचित्र प्रस्तुत किया । इस कार्यक्रम का संयोजन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज वीर सिंह ने किया । राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी ने कहा कि रचनाकार की आत्मकथा दूसरों के लिए प्रेणादायी होती है। हमें ऐसे आयोजनों से एक दूसरे के व्यक्तित्व व कृतित्व का परिचय हो जाता है।

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