पाक तेरी नपाक करतुत पर देश कर रहा है धिक्कार
बच कर रहना जाग ना जाये युवा शक्ति का संग्राम
खून दिया जिनने देश की खातिर आपना छोड़ कर घर बार
हमभी बदला लेगे तुमसे ईतना तेज महा विकराल
ढुंढे नहीं मिलेगे कतरे ढूंढ लेना सारा पाक तमाम
भूल गये तुम महाराणा ने छक्के कितनो के छुड़ा दिये
झांसी वाली रानी ने धड़ जमीन रख गिना दिए
उन अंग्रेजों ने भी ईक दिन आपना घुटना टेका था
पाक तुझे भी सबक मिलेगा बस चिल्लाते रह जाओगे
नतमस्तक हो भारत मां के चरणों वन्दे मातरम गाओगे
जरा तुमने सोचा होता ईक बच्चे से पापा का प्यार
जरा तुमने सोचा होता ईक बेटे पर मां का दुलार
जरा तुमने सोचा होता उस विधवा का शृंगार
तुम से क्या उम्मीद हम करे दया धर्म का नाम नहीं
दिल तो है पर दिल ही नहीं इन्सा है इन्सान नहीं
तुम पीठ पीछे बार करके कायरता दिखलाते हो
डरते हो और छुपते हो वीरो से घबराते हो
अब पीठ पर नहीं सीने पर गोली दांगी जायेगी
भूकम्प भी होगी आंधी भी होगी जब जोश दिलो में आयेगा
पाकिस्तान की गलियों में भी धव्ज भारत का लहरायेगा
नाम-अंकित जैनसाहित्यिक उपनाम-विरागांकितजन्म स्थान -पथरियावर्तमान पता- पथरिया जिला दमोहराज्य-मध्यप्रदेशशहर-पथरियाशिक्षा- बी. ए.(अध्ययनरत)विधा -गीत/कविता/लेखअन्य उपलब्धियाँ- संगीत में गाना और बजाना दोनों में ही समाज के चहेतालेखन का उद्देश्य- मात्र भाषा हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार और हिंदी भाषा को बढ़ावा देने का प्रयास करना