है राह यह सुहाना, चाहे शीश हो कटाना ।
तुम सुन लो देशवासी, यह देश है हमारा ।
भारत के ऐ सपूतों, विश्वास को जगाओं ।
कमजोर करके दुश्मन को, देश से भगाओं ।
छायी रहे सदा ही, स्वाधीनता की लाली ।
आजाद हुई जननी, छाये सदा हरियाली ।
आकाश में लहराओं, तुम देश का तिरंगा ।
हर – मन प्रसन्न होकर, जय हिंद – गान गाये ।
उस लाल किले ऊपर, फहरे तिरंगा प्यारा ।
तुम सुन लो देशवासी, यह देश है हमारा ।
जय हिंद की धरा पर, गोरों का कैसे हक था ।
हर भारतीय बहादुर,खाया भी यह कसम था ।
करते थे कैसे पीड़ित, पूर्वज कोवो हमारे ।
हक छीन लो तुम अपना, जननी तुम्हें पुकारें ।
डर – भय को त्याग करके,हाथों में भाल ले लो ।
आवेश को जगाओं, उत्साहित होकर जाओं ।
दुश्मन नटिकने पाये, उन्हें देश से भगाओं ।
तुम सुन लो देशवासी, यह देश है हमारा ।
गाँधी – सुभाष – नेहरू, आजाद – भगत – विस्मिल ।
सुखदेव – वीरअब्दूल, थे वीर साहसी वो ।
जिनके हृदय में जागी, पीड़ित है अपनी जननी ।
सर पर कफन को बांधे, निकली थी ऐसी टोली ।
दुश्मन के खून खेले, स्वतंत्रता की होली ।
गोरों तुम्हें है जाना, भारत है यह हमारा ।
दुश्मन को खेद करके, वीरों ने गान गाया ।
तुम सुन लो देशवासी, यह देश है हमारा ।
परिचय-
नाम -डॉ. अर्चना दुबे
मुम्बई(महाराष्ट्र)
जन्म स्थान – जिला- जौनपुर (उत्तर प्रदेश)
शिक्षा – एम.ए., पीएच-डी.
कार्यक्षेत्र – स्वच्छंद लेखनकार्य
लेखन विधा – गीत, गज़ल, लेख, कहाँनी, लघुकथा, कविता, समीक्षा आदि विधा पर ।
कोई प्रकाशन संग्रह / किताब – दो साझा काव्य संग्रह ।
रचना प्रकाशन – मेट्रो दिनांक हिंदी साप्ताहिक अखबार (मुम्बई ) से मार्च 2018 से ( सह सम्पादक ) का कार्य ।
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काव्य स्पंदन पत्रिका साप्ताहिक (दिल्ली) प्रति सप्ताह कविता, गज़ल प्रकाशित ।
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कई हिंदी अखबार और पत्रिकाओं में लेख, कहाँनी, कविता, गज़ल, लघुकथा, समीक्षा प्रकाशित ।
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दर्जनों से ज्यादा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रपत्र वाचन ।
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अंर्तराष्ट्रीय पत्रिका में 4 लेख प्रकाशित ।