मैं नन्ही कली नादान बनूँ तो
सबका दिल बहला दूँगी
मैं ममता तज काली रूप धरुँ तो
ब्राह्मण्ड को दहला दूँगी
मेरी अरज सुनो एक अवसर दो
बेटी की क्या गरिमा जग में
ये सबको मैं बतला दूँगी
अपनेपन का अहसास रखूँ
मैं खुद पर ये विश्वास रखूँ
खुश रहूँ सदा हर हाल में
ना मन को कभी हतास रखूँ
जो बने हमारे प्रतिद्वन्दी
ये बात उन्हे समझा दूँगी
मेरी अरज सुनो….
घर की बगिया का फूल रहूँ
ये चाह नहीं मैं शूल रहूँ
यदि कोई करे अपमान मेरा
उस क्षण काली का खडग_त्रिशूल रहूँ
मैं आदिशक्ति हूँ
ब्रह्मण्ड तबाह करवा दूँगी
मेरी अरज सुनो….
ये चाह रखूँ मुझको भी
नवयुग की पहचान मिले
मेरा अन्तर्मन प्रफुल्लित हो
मुझे प्यारी सी मुस्कान मिले
यही अरज मेरी स्वीकार करो
बेटी को बेटे जैसा सम्मान मिले
यदि हुआ ऐसा इस विश्व धरा पर
मैं पत्थर दिल पिघला दूँगी
मेरी अरज सुनो….
#शशि कान्त पाराशर
परिचय
नाम – शशि कान्त पाराशर
साहित्यिक उपनाम – नादान
जन्मतिथि – 19 नवम्बर 1994
वर्तमान पता -उत्तरप्रदेश!
राज्य – उत्तरप्रदेश
शहर – मथुरा
शिक्षा – हिन्दी साहित्य व अंग्रेजी से स्नातक पूर्ण
कार्यक्षेत्र – कवि एवम् अध्यापक
विधा – कविता, शेर -ओ-शायरी, लघु कथा, बाल कविता!
प्रकाशन – देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में रचनाओ का प्रकाशन होता है , जैसे नॉयडा से संपादित ‘दैनिक वर्तमान अंकुर’, छत्तीसगढ़ से संपादित ‘दैनिक नवप्रदेश’, ‘झुन्झुनू से संपादित ‘मरुवेदना’ एवम् ‘अपराधो की दुनिया’, ‘लोकगंज दैनिक पत्रिका’ , ‘हमारा मेट्रो’ आदि देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में रचना प्रकाशित की जाती हैं!सम्मान – श्रेष्ठ रचनाकार मंच दिल्ली से “हिन्दी सेवी सम्मान” से सम्मानित!
लेखन का उद्देश्य
मैं अधिकतर बाल कविता और महिला प्रधान कवितायें लिखता हूँ! ऐसा करने पर उद्देश्य है कि मैं समाज में उपस्थित रुढिवादी मानसिकता को, पुत्र-पुत्री के बीच की असमानतायें हैं उनका खण्डन करता हूँ, मुझे पूर्ण विश्वास है कि जो कार्य नफ़रत और वैर-भाव से नहीं हो सकता है वहीं परिवर्तन लाने आधुनिक कलम पूर्णतः सक्षम है!!