जीवन की आखिरी पड़ाव पर
कुछ एहसास बाकी है।
मूँदते आँखो से कुछ देखने की
शायद आस अभी बाकी है।
सफर में जो छूट गए थे अधूरे से सपने
उन्हें पूरा होने की उम्मीद बाकी है।
ऐसे तो न थे तेरे इरादे
बदले हुए तेवर की फजीहत अभी बाकी है
क्या हुआ जो लाचार हो गया मैं
शरीर की लहू अभी बाकी है।
दौड नही सकता तो क्या हुआ
उम्र की पडाव में अनुभव काफी है।
परख लेता हूँ मैं चेहरा देखकर
क्योंकि तुझमें अल्हड़ता काफी है।
मेरी बातें नहीं समझ पाओगे तुम
क्योंकि परिपक्वता अभी बाकी है।
“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति