स्वर्ण किरण अब बिखर रही है
पूर्व दिशा की ओर से
सूर्य नारायण आ गये है
ब्योम के उस छोर पर ।
आकाश के तारे सभी
अपने राहों को बदल लिया
टिमटिमाते तारों ने चंदा को ले चला
रजनी ने भी अब आँचल को अपने समेट लिया ।
बिखरी जब सुनहरी किरणें
कलियों को छू दिया
अंगड़ाई लेकर पंक्षी पेड़ों पर हो गये
करने लगे वो कलरव फिर चीं-चीं-चूँ-चूँ ।
कलियाँ भी अब मुस्कान लेके खिल गयी
बनके वो फूल प्यारी पत्तों पर सो गयी
कुछ बूँदें भी जो ओस की
मोती में बदल गयी ।
चारों दिशा रौशन हुआ
पशु-पक्षी भी हुए निहाल
खुली धूप में बैठ कर
सुख लेने लगे अपार ।
गाने लगे सब गान अब
रात्रि छटने लगी !
आ गयी फिर सुबह सुहानी
लिखेंगे सब नयी कहानी ।
परिचय-
नाम -डॉ. अर्चना दुबे
मुम्बई(महाराष्ट्र)
जन्म स्थान – जिला- जौनपुर (उत्तर प्रदेश)
शिक्षा – एम.ए., पीएच-डी.
कार्यक्षेत्र – स्वच्छंद लेखनकार्य
लेखन विधा – गीत, गज़ल, लेख, कहाँनी, लघुकथा, कविता, समीक्षा आदि विधा पर ।
कोई प्रकाशन संग्रह / किताब – दो साझा काव्य संग्रह ।
रचना प्रकाशन – मेट्रो दिनांक हिंदी साप्ताहिक अखबार (मुम्बई ) से मार्च 2018 से ( सह सम्पादक ) का कार्य ।
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काव्य स्पंदन पत्रिका साप्ताहिक (दिल्ली) प्रति सप्ताह कविता, गज़ल प्रकाशित ।
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कई हिंदी अखबार और पत्रिकाओं में लेख, कहाँनी, कविता, गज़ल, लघुकथा, समीक्षा प्रकाशित ।
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दर्जनों से ज्यादा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रपत्र वाचन ।
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अंर्तराष्ट्रीय पत्रिका में 4 लेख प्रकाशित ।