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आ तो सगला ने हरसावें।
इण री शान कदै ना जावें।
इरो जस हिलमिलकर गावें।
छकड्यो राँका रो।
झण्डाें बाघसूरी में लहरावें।
बाला साहब री याद दिलावें।
नारेल दीपक ज्योत जलावें।
छकड्यो राँका रो।
इण री अम्बिका माता प्यारी।
सती माता लखमा देवी न्यारी।
दिहाड़ी माता करती रखवारी।
छकड्यो राँका रो।
आगेवा छगन लाल सा ईरा।
नौज बाई सा रा प्यारा बीरा।
राँका कुल रा अनमोल हीरा।
छकड्यो राँका रो।
मोटा बाल चन्द सा कहलावे।
किशनलाल सा नाम भी पावे।
केसरी मल सा भी बण जावे।
छकड्यो राँका रो।
कुन्दन मल सा नही है न्यारा।
सौभाग मल सा भी है प्यारा।
धापू बाई री आँख रा तारा।
छकड्यो राँका रो।
बाघसूरी कुल री है पटरानी।
अजमेर नगरी कद अणजाणी।
जयपुर कैवे आ री कहाणी।
छकड्यो राँका रो।
माँगीलाल सा रो रूप निरालो।
सुगन बाई सा ने लागे बालो।
सौ बरस उच्छव मनावां हालो।
छकड्यो राँका रो।
ई रो ‘चन्द्र बिन्दु’ गर्वीलो।
राँका रो ‘रा’ भी है रंगीलो।
राँका रो ‘का’ है भड़कीलो।
छकड्यो राँका रो।
ओ है छगनलाल सा रो बूटों।
ओ है पाँच भाइयाँ रो खूटों।
धापू बाई री आशीषा टूटों।
छकड्यो राँका रो।
ई रो जस ‘रिखब राँका’ गावें।
जग में राँका रो जस फैलावें।
परिवार में भाईचारों बढ़ावें।
छकड्यो राँका रो।
आ तो सगला ने हरसावें।
इण री शान कदै ना जावें।
इरो जस हिलमिलकर गावें।
छकड्यो राँका रो।
#रिखबचन्द राँका
परिचय: रिखबचन्द राँका का निवास जयपुर में हरी नगर स्थित न्यू सांगानेर मार्ग पर हैl आप लेखन में कल्पेश` उपनाम लगाते हैंl आपकी जन्मतिथि-१९ सितम्बर १९६९ तथा जन्म स्थान-अजमेर(राजस्थान) हैl एम.ए.(संस्कृत) और बी.एड.(हिन्दी,संस्कृत) तक शिक्षित श्री रांका पेशे से निजी स्कूल (जयपुर) में अध्यापक हैंl आपकी कुछ कविताओं का प्रकाशन हुआ हैl धार्मिक गीत व स्काउट गाइड गीत लेखन भी करते हैंl आपके लेखन का उद्देश्य-रुचि और हिन्दी को बढ़ावा देना हैl
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