“किसान की दशा”

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pushpa sharmashpa
shrama
kusum
ग्रीष्म के तेवरों से हुए ठूँठों में कहीं -कहीं कोंपल फूटी है।
समय पर न बरसी बरसा से अच्छी फसल की आशा टूटी है।
फिर भी बच्चों संग नानू किसान लगा हुआ है खेतों में।
अरमान भरा थैला उसका दबा हुआ है धोरों की रेती में।
अनिश्चितता ओं का डेरा उकेरता चेहरे की गहरी लकीरों को।
धीरज धर मेहनत में रत दोनों सोचरहे अन्न वस्त्र के फेरों को।
वर्ष भर भरे पेट, सभी का पट भी रह जाये तन ढकने को
बने औषधी मर्ज कर्ज की फिर राशि  कुछ बच जाये तो ।
ऐसे में उसकी हर ऋतु ताना बाना बुनते ही निकली जाती है।
बच्चों की माँगें ,सपने -अपने
उर -उदधि तंरग उछल रह जाती है।
अन्नदाता की यह स्थिति सदियों से  ही चलती  आ रही।
उपेक्षित किसान वर्ग की करुण गाथा सब को ही सुना रही।
#पुष्पा शर्मा 
परिचय: श्रीमती पुष्पा शर्मा की जन्म तिथि-२४ जुलाई १९४५ एवं जन्म स्थान-कुचामन सिटी (जिला-नागौर,राजस्थान) है। आपका वर्तमान निवास राजस्थान के शहर-अजमेर में है। शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. है। कार्यक्षेत्र में आप राजस्थान के शिक्षा विभाग से हिन्दी विषय पढ़ाने वाली सेवानिवृत व्याख्याता हैं। फिलहाल सामाजिक क्षेत्र-अन्ध विद्यालय सहित बधिर विद्यालय आदि से जुड़कर कार्यरत हैं। दोहे,मुक्त पद और सामान्य गद्य आप लिखती हैं। आपकी लेखनशीलता का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है।

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