यूएन में हिंदी को दर्जा दिलाने के लिए आगे आया मॉरीशस,

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यूएन में हिंदी को दर्जा दिलाने के लिए आगे आया मॉरीशस, कहा- भारत हमारी मां है, बेटे के तौर पर ये हमारा फर्ज

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मॉरीशस के मार्गदर्शक मंत्री अनिरुद्ध जगन्नाथ संभाल चुके हैं प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति जैसे शीर्ष पद

पोर्ट लुइस (माॅरीशस). हिंदी को यूएन की आधिकारिक भाषा बनाने के लिए जारी कोशिशों में भारत को अब मॉरीशस का साथ मिला है। सोमवार को 11वें विश्व हिंद सम्मेलन के समापन के मौके पर मॉरीशस के मार्गदर्शक मंत्री अनिरुद्ध जगन्नाथ ने कहा कि हमारे के लिए भारत मां है और एक बेटे का फर्ज निभाते हुए हम हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा बनाने की भारत की कोशिशों का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है, जब बाकी भाषाओं की तरह हिंदी को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थान मिलना चाहिए।

माॅरीशस के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों पदों पर रह चुके जगन्नाथ ने कहा कि हिंदी ने मॉरीशस के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विकास में अहम भूमिका निभाई है। विश्व हिंदी सम्मेलन से दोनों देशों के बीच संबध और ज्यादा गहरे हुए हैं। उन्होंने कहा कि जब से उन्होने देश की सत्ता संभाली है, हमेशा हिंदी को आगे बढ़ाने की कोशिश की है। उन्होंने मॉरीशस में विश्व हिंदी मंत्रालय की स्थापना पर भी खुशी जताई।

मॉरीशस को आजादी दिलाने में भारतीयों की अहम भूमिका:
अनिरुद्ध जगन्नाथ ने कहा कि हमारे पूर्वज मजदूरों की तरह मॉरीशस आए थे। तब उनके पास सिर्फ अपनी भाषा और संस्कृति ही थी, लेकिन अपने खून और पसीने की दम पर उन्होंने अपने परिवारों को पालने के साथ मॉरीशस को आजादी दिलाने में भी मदद की। अगली पीढ़ी भी देश के आगे ले जाने की कोशिशों में है। जिस तरह सूर्य की किरणों को कोई नहीं रोक सकता, उसी तरह माॅरीशस के विकास को भी कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने उम्मीद जताई कि हिंदी सम्मेलन के बाद लोग हिंदी के प्रचार-प्रसार में कोई कमी नहीं छोड़ेंगे। मॉरीशस में भी हिंदी भाषा और संस्कृति का विकास होगा, जिसे युवा पीढ़ी इसे बेहतर तरीके से आगे ले जाएगी।

साभार : दैनिक भास्कर

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।