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चाँद माथे पे, निगाहों में सितारे लेकर,
रात आई है देखो कैसे नज़ारे लेकर,
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सुबह तक याद ना करने की कसम टूट गई,
नींद आई तेरी यादों के सहारे लेकर,
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नहीं आसां है सजा लेना हंसी चेहरे पर,
भीगती आँखों में सुलगते शरारे लेकर,
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हाथ आया ना कुछ ता-उम्र मशक्कत करके,
आखिर चल दिए बस दिल में खसारे लेकर,
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आज निकला हूँ अपना ज़र्फ आज़माने को,
तुम भी आ जाओ सब तीर तुम्हारे लेकर,
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भरत मल्होत्रा।
परिचय :-
नाम- भरत मल्होत्रा
मुंबई(महाराष्ट्र)
शैक्षणिक योग्यता – स्नातक
वर्तमान व्यवसाय – व्यवसायी
साहित्यिक उपलब्धियां – देश व विदेश(कनाडा) के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों , व पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित
सम्मान – ग्वालियर साहित्य कला परिषद् द्वारा “दीपशिखा सम्मान”, “शब्द कलश सम्मान”, “काव्य साहित्य सरताज”, “संपादक शिरोमणि”
झांसी से प्रकाशित “जय विजय” पत्रिका द्वारा ” उत्कृष्ट साहितय सेवा रचनाकार” सम्मान एव
दिल्ली के भाषा सहोदरी द्वारा सम्मानित, दिल्ली के कवि हम-तुम टीम द्वारा ” शब्द अनुराग सम्मान” व ” शब्द गंगा सम्मान” द्वारा सम्मानित
प्रकाशित पुस्तकें- सहोदरी सोपान
दीपशिखा
शब्दकलश
शब्द अनुराग
शब्द गंगा
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