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करो सम्मान नारी का निगाहों में हया रखना!
समर्पण भाव को लेकर ज़हन अपना खुला रखना!!
क़लम की धार से चाहे बदल देना सभी मंज़र!
सदाकत जो अलग करती नहीं ऐसी दया रखना!!
तुम्हारे आशियाने को सजाती रात दिन नारी!
मिले समभाव का दर्ज़ा इरादा ये सदा रखना!!
ज़मीनों आसमां मिलकर गुजारिश आज करते हैं!
हरिक अल्फ़ाज़ को अपने जहानत से भरा रखना!!
सदा मिलजुल रहें सारे तमन्ना है यही दिल की !
बने क़िरदार पाक़ीज़ा लबो पे बस दुआ रखना!!
सभी का दिल लुभा लेना जुदा अंदाज़ से अपने!
मुसाफ़िर गीत ग़ज़लों को हमेशा तुम नया रखना!!
नाम:-धर्मेन्दर अरोड़ा “मुसाफ़िर”
पिता का नाम:-श्री सोमनाथ अरोड़ा
माता का नाम:-श्रीमती संतोष अरोड़ा
शिक्षा:-बी.कॉम.
जन्मस्थान:-निगाणा
(रोहतक)
सम्प्रति:-अध्यापक,कवि,
शतरंज खिलाड़ी
सम्मान:-साहित्य के क्षेत्र में योगदान हेतु विभिन्न मंचों द्वारा कई बार सम्मानित
प्रकाशन:-अनेक पत्र पत्रिकाओं,वेबसाइटस एवं अख़बारों में रचनाएं प्रकाशित
संपर्क:-पानीपत(हरियाणा)
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