तव पद में मम माथ है गुरुवर, मम माथे तेरा कर हो तव आशीष तले मम चेतन मम जीवन पावन कर दोl अदभुत है संयोग ये गुरुवर, `मलप्पा श्रीमती` सुत का `शरद पूर्णिमा` के तुम चंदा संग सूर्य सम यतिवर होl शब्द नहीं,सुर-ताल न जानूं , फिर भी अज्ञ करे […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा
