मातृभाषा ने ‘घर-घर पुस्तकालय’ बनवाकर रचा विश्व कीर्तिमान

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वर्ल्ड रिकॉर्ड ऑफ़ एक्सीलेंस, इंग्लैंड ने दिल्ली में प्रदान किया विश्व कीर्तिमान

इंदौर। भारत के 10000 से अधिक घरों और कार्यालयों में ‘घर-घर पुस्तकालय’ अभियान के माध्यम से पुस्तकालय बनवाने वाले मातृभाषा उन्नयन संस्थान ने विश्व कीर्तिमान बनाया है। नई दिल्ली के भारत मंडपम में वर्ल्ड रिकॉर्ड ऑफ़ एक्सीलेंस द्वारा मंगलवार को आयोजित समारोह में संस्थान को जसपुर महाराज रणविजय सिंह जूदेव, सेवा निवृत्त एयर चीफ़ मार्शल संजीव कपूर, निफा के उपाध्यक्ष प्रीतपाल सिंह पन्नू एवं वरिष्ठ अधिकारी अनिल जेठवानी ने यह विश्व कीर्तिमान प्रदान किया।

अभियान संयोजिका और संस्थान की राष्ट्रीय सचिव भावना शर्मा ने बताया कि ‘मातृभाषा उन्नयन संस्थान ने मई 2025 को ‘घर-घर पुस्तकालय अभियान’ प्रारंभ किया था, जिसका ध्येय यही रहा कि लोग पुस्तकों से जुड़ाव और आत्मीय नाता बनाएँ और ज्ञान तीर्थों का निर्माण हो। इस अभियान से जुड़कर अब तक 10 हज़ार से अधिक लोगों ने अपने घर, दुकान इत्यादि में छोटे-बड़े पुस्तकालय तैयार किए।’
आयोजन का संचालन संजय पंजवानी ने किया व आभार सोनम पंजवानी ने माना।
इस अवसर पर संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ सहित राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नितेश गुप्ता, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष शिखा जैन, राष्ट्रीय सह सचिव सपन जैन काकड़ीवाला, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ. नीना जोशी, गणतंत्र जैन ओजस्वी, प्रेम मंगल, मणिमाला शर्मा, अनुपमा समाधिया सहित प्रादेशिक अध्यक्ष रश्मिलता मिश्रा, अमित मौलिक श्रीमन्नारायण चारी विराट, धीरज अग्रवाल, नरेंद्र पाल जैन, नसरीन अली निधि सहित हिंदीयोद्धा नीलम झा, जलज व्यास आदि ने शुभकामनाएँ प्रेषित करते हुए प्रत्येक हिन्दी प्रेमी का धन्यवाद ज्ञापित किया।

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।