सूरज,पृथ्वी,चाँद,घूमते तेरे कारण। तुझमें ही है आदि अंत,तुमसे जग तारण॥ माया मत्सर मोह लोभ सब तेरे अनुचर। रोम-रोम अधिकार होय जल-थल या नभचर॥ काल अकाल विकाल तुम्हारे हैं सब साधन। कर्म भाग्य दुर्भाग्य बसे तेरे ही आनन॥ भटक रहा मैं हाय,मार्ग दिखलाना होगा। अवध न जाए हार,अवधपति !आना होगा॥ #अवधेश […]
काव्यभाषा
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पन्द्रह अगस्त उन्नीस सौ सैंतालिस आया, वीरों ने अंग्रेजों से भारत को मुक्त कराया। उन्मुक्त गगन में तिरंगा झण्डा लहराया, आजाद हुआ भारत,जन-जन हरषायाll बाबा आम्बेडकर जी ने संविधान बनाया, `वन्दे मातरम्` बंकिमचंद्र चटर्जी ने बनाया। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने `जन गण मन` बनाया, ‘सारे जहाँ से अच्छा’ सबने मिलकर […]
