गीतों का मल्हार लिए, फूलों का श्रंगार लिए। खिल गए फूल अनन्त, आ गया देखो प्यारा बसंत॥ फूलों से खेत हो रहे हरे-भरे, पक्षी गीत गा रहे भावना भरे। नर-नारी और झूमे साधू सन्त, आ गया देखो प्यारा बसंत॥ नदियाँ फूलों से श्रृंगार करे, धरा भी किरणों से मांग […]
काव्यभाषा
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