बन्द हैं दरवाजे,कभी तो खुलेंगे, कभी तो हम अपनो से मिलेंगे। उम्मीद रखो,अच्छा वक्त आयेगा, जो बिछड़े है,वे जल्दी ही मिलेंगे।। सूरज छिपता है,तो निकलता भी है, बीज बोते है,तो पौधा उगता भी है। उम्मीद पर है ये कायम दुनिया है सारी, सोता है इंसान तो कभी जागता भी है।। […]
काव्यभाषा
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