मन प्रफुल्लित अब होत बलिहारी गलियन गलियन कूँचे किलकारी नैनन से तुम अब करिहौ बातै श्याम शलौने गीत सुनाके मोरे मनवा में तुमने डाका डाला ऐसे गया अब वो हरसा के पकडे मोरे वो कलाई रसिया मन इतराय अब रह रह के जानौ अब ना कौनो बतिया वो गये है […]
काव्यभाषा
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