निमि की वंशज हूँ मैं, सूर्यवंश की परिणीता। जो त्रैलोक्य का स्वामी है, उसका मन मैंने जीता।। विधि से लभ्य हुए सब साधन, किन्तु अभाव में बीता जीवन। सप्तपदी से सप्तजनम का, साथ तुम्हारा प्रेय बना। वनवास तुम्हें जब श्रेय हुआ, मेरा भी गृह अरण्य बना।। मेरा कब, कितना दोष […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा
*पूजा की थाली सजती है* *अक्षत पुष्प रखें रोली।* *काव्यजगत में ध्रुव सी चमके,* *कवि प्रिया,काव्य रंगोली।* . *हिन्दी साहित सृजन साधना,* *साध करे भाषा बोली।* *कविता गीत गजल चौपाई,* *लिखे कवि काव्य रंगोली।* . *दोहा छंदबद्ध कविताई,* *मुक्तछंद,प्रीत ठिठोली।* *प्रेम रीति शृंगार सलौने,* *पढ़ि देख काव्य रंगोली।* . *लिखे […]
