अब इस संसार में, संस्कार बहुत कम दिखता है, धोखे के बाजार में, मां बाप का प्यार बिकता है।। छोड़ देते है वृद्धाश्रम में उन्ही के बच्चे जिन्हे मां बाप अपने खून से सिंचता है।। पाल पोषकर बड़ा किया, उन्हे उनके पैरो में खड़ा किया। मंदबुद्धि औलाद की ये तो […]

मत पूछो,कोरोना मे दिन कैसे मैंने काटे, हाथो मे पड थे छाले,पैरों में चुभे थे कांटे। दर दर ठोकरें हर जगह मुझे खानी पड़ी थी, ये मेरे लिए मुश्किल की बहुत बड़ी घड़ी थी। घर में बन्द था,नहीं जा सकता था मै बाहर, बच्चे भी मना कर रहे थे,जाओ नहीं […]

कोलकाता की सड़कों पर भाजपा के लोग अकसर एक फिल्मी गीत गाते हुए मिलते हैं-एक बंगला बने न्यारा, रहे कुनबा जिसमें सारा, सोने का बंगला, चंदन का जंगला, अति सुंदर प्यारा-प्यारा। वहीं दीदी के कार्यकर्ता गाते हैं कि मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है। अब मुसीबत यह है कि […]

स्वच्छ कैसे कहुं माँ गंगा आचमन लायक नही मां गंगा अरबो खर्च हो जाने पर भी प्रदूषण मुक्त नही मां गंगा ‘नमामि गंगे’ मात्र कह देने से स्वच्छ नही हो रही मां गंगा भाषण बहुत हो गए अब तो स्वच्छ कराओ अब मां गंगा गंगा को मां का सम्मान दिया […]

जब जब हिचकी आईं हैं मुझको, तब तब तेरी याद आई है मुझको। पता नहीं ये यादें क्यों हमे सताती, इसका रहस्य तो बताओ मुझको। जब जब दूर रहते है एक दूजे से, मिल नहीं पाते हैं हम एक दूजे से। तब तब हिचकी आती है दोनो को मिलने का […]

मैं चिड़ियों के गीत सुनूँगा मैं चिड़ियों के गुण गुनूँगा चहक-चहक कर उनका उड़ना भिन्न-भिन्न ध्वनि में उनका कहना मैं सब सीखूँगा … सवेरे-सवेरे पूरब की लाली देखूँगा बाग-बगीचों में तितलियों के पर गिनूँगा पत्तों पर बिखरीं चाँदी सी ओस की बूँदें जाग उठीं कोमल कलियाँ जो थी आँखें मूँदें […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।