अब इस संसार में, संस्कार बहुत कम दिखता है, धोखे के बाजार में, मां बाप का प्यार बिकता है।। छोड़ देते है वृद्धाश्रम में उन्ही के बच्चे जिन्हे मां बाप अपने खून से सिंचता है।। पाल पोषकर बड़ा किया, उन्हे उनके पैरो में खड़ा किया। मंदबुद्धि औलाद की ये तो […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा