रिमझिम–रिमझिम बरसता पानी रिमझिम–रिमझिम पानी की बूंदें, देखो कितनी उन्मादित करतीं। नयी–नयी कोंपलों को देखो मानो सीपों से भर देतीं। मधुवन की हरियाली देखो, गोरी के सजीले नयनो को देखो। मदमस्त मुखड़े की शौहरत को देखो बलखाती–सी ज़ुल्फ़ों को देखो। घूंघट में पग डोलते हुए, शर्माती हुई, लजाती हुई, आती […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा