हे कैलाशी , घट घट वासी, मन मेरा ,दर्शन अभिलाषी। हे शिव शंकर , प्रलयंकारी, तांडव कर,भोले अविनाशी। डमरू वाले , गौरी शंकर, कर त्रिशूल, बाघम्बर धारी। हे,जगपालक, जगसंहारक, भूतनाथ, शिव मंगलकारी। कंठ हार में, नाग सोहते, नीलकंठ, भोले त्रिपुरारी। जटाजूट सिर, चन्द्र गंग है, भंग विल्व, संगत आहारी। हे […]
