सदियों से हमारे भारत वर्ष में पत्रों का आदान प्रदान का महत्व रहा है। कई लडाई पत्र के सही समय पर नहीं मिल पाने के कारण हुई। बहुत सारी प्रेम गाथाएं कागज पत्रों पर लिखी गई। पहले राजा महाराजा के यहां बडे़ बड़े नगाड़ों से मुनादी पिटवाया जाता था। और […]

आज प्रेम कैसा सीमित है। हर मानव इससे भ्रमित है। प्यार स्वार्थ का पर्याय बना है। कामेच्छा जीवन लक्ष्य बना है। स्वतन्त्र मानव होकर के भी गुलाम विकारों का बना है। चारित्रिक दृष्टि से तब ही , आज मनुष्य पतित बना है। वक्त रफ्तार से गुजर रहा है। मनुष्य धोखा […]

चलेगी सांस जब तलक, वो मुझको याद आएगी,,, करे कोशिश वो कितना भी, ना मुझको भूल पाएगी,,, बिछङ कर आज तक उसकी, खबर कोई नहीं आई,,, मैं महफिल में भी तन्हा हुं, बजी बेशक है शहनाई,,, कभी मांगी दुआओं में, कभी सजदा किया मैंने,,, जो हासिल है नहीं मुझको, लबों […]

मृत्यु ही जीवन है जीवन महासंग्राम है मृत्यु ही एक महाविश्राम है जीना इसी का नाम है जीवन ही संघर्ष है संघर्ष ही संघर्षों का विक्रान्त है मृत्यु का है विनाशी मृत्यु जीवन का राजवंशी राजा समय है समय दृष्टिगोचर,अदृश्य दृश्यों सा शबाब है शबाब ही ख्वाब है संघर्ष सीखने […]

कागज की नाव को पानी की ऊपरी सतह पर उतारना आसान होता है । पर उस कश्ती को नदिया पार ले जाना कठिन काम होता है । उस कागज की कश्ती को बनाना भी कोई आसान काम नहीं, पर सीखने में बस थोड़ा ध्यान लगाना होता है । और शायद […]

यक़ीनन दहेज़ एक बुरी प्रथा है, जिसके कारण समाज में कई बेटियों को अपना जीवन होम करना पड़ा, इसकी जद में कई परिवार, कई घर आ गए और स्वाह हो गए किन्तु इस व्याप्त बुराई में भी एक अच्छी की किरण किसी को नज़र आई तो वो है पश्चिम बंगाल […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।