बड़े नसीब वाले होते है जिन्हें प्रभु दर्शन मिलते है। कुछ तो उसमें भी विशेष होते है। जिन्हें खुद प्रभु बुलाते है और भक्ति का मौका देते है। पर कुछ वदनसीब होते है जिन्हें बुलवा भी होता है। पर दरवाजे पर होते हुए भी उनका दर्शन नहीं मिल पाता। यही […]

परिवार ना तोड़ कभी, रखना सबको साध। साथ सभी का हो तभी, मिलता प्रेम अगाध।। बाकी जैसे भी रहे, इक भाई हो राम। छोटे लेते सीख तब, सुख चलता अविराम।। लक्ष्मण चाहे ना मिले, कुम्भकर्ण मिल जाय। भाई हेतु प्राण दिए, फिर भी ना पछताय।। प्रेम सभी में खूब हो, […]

इंदौर । सर्वाधिक हिन्दी प्रेमियों से सुसंगठित हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए प्रतिबद्ध ‘मातृभाषा उन्नयन संस्थान’ द्वारा प्रतिवर्ष दो हिन्दी साधकों को ‘हिन्दी गौरव अलंकरण’ से विभूषित किया जाता है। इसी शृंखला में वर्ष 2021 के हिन्दी गौरव अलंकरण चयन समिति ने मध्यप्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के मंत्री एवं […]

इतना सीधापन किस काम का न दूर का दिखाई दे न पास का हमने भगवान समझ पूजा तुम्हे पर तुम्हें लगा यह किस काम का तुम्हे अंधेरे में रख किया उसने वार ओर तुम घायल हो गए खामखा फलो पर पत्थर मारे वे किसके थे अपना बाग उजाड़ते हो खामखा […]

मातृभाषा दिवस के अवसर पर विशेष विचार श्रृंखला – भाग 2 यूपी बोर्ड की परीक्षा में आठ लाख विद्यार्थियों का हिन्दी में फेल होने का समाचार 2020 में सुर्खियों में था. कुछ दिन बाद जब यूपीपीएससी का रेजल्ट आया तो उसमें भी दो तिहाई से अधिक अंग्रेजी माध्यम के अभ्यर्थी […]

आओ बैठें कुछ पल, और चिंतन करें। क्या सही, क्या गलत, इसका मंथन करें किया जिसने चिंतन, वो ही ज्ञानी हुआ। रस, रसायन का वो, सदा विज्ञानी हुआ। ऋषियों मुनियों ने भी , सदा चिंतन किया। रामायण और गीता में, जीवन का सार दिया। निखरता है व्यक्तित्व, सिर्फ चिंतन से। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।