1
0
Read Time36 Second
परिवार ना तोड़ कभी, रखना सबको साध।
साथ सभी का हो तभी, मिलता प्रेम अगाध।।
बाकी जैसे भी रहे, इक भाई हो राम।
छोटे लेते सीख तब, सुख चलता अविराम।।
लक्ष्मण चाहे ना मिले, कुम्भकर्ण मिल जाय।
भाई हेतु प्राण दिए, फिर भी ना पछताय।।
प्रेम सभी में खूब हो, चले हास परिहास।
मात-पिता गर साथ हो, दुःख ना फटके पास।।
-निखिलेशसिंह यादव,
गोंदिया
Post Views:
386