पुलवामा के घावों पर, मरहम आज लगाया था। वायुसेना के वीरों ने , बालाकोट उड़ाया था। गद्दारों की बर्बादी को, गुपचुप जाल बिछाया था। एयर स्ट्राइक करने का, वीरों ने प्लान बनाया था। भारत माँ के सपूतों ने, दुश्मन को मजा चखाया था। बारह दिन के अंदर ही, गद्दारों का […]

सोच सोच कर रो रहा हूँ अपनी करनी पर। कैसा वक्त आन पड़ा अब सबको रोने को। चारो ओर मची है अब मंहगाई की मार । फिर भी कहते थक नहीं रहे अच्छे दिन आगये इस बार।। कहा से चले थे कहा तक आ पहुंचे। क्या इससे भी ज्यादा अच्छे […]

टिक टिक घड़ी चल रही है समय की सुई आगे बढ़ रही है मुठ्ठी से फिसलती रेत की तरह समय फिसलता जा रहा है कुछ भी हाथ नही आ रहा है व्यर्थ यूं ही समय बीता अगर नही मिल पाएगी सफल डगर अपना समय अब यूं न गंवाओ परमात्मा मे […]

आम तौर पर लोगों को पता नहीं होता कि संयुक्त राष्ट्र 21 फरवरी को विश्व-मातृभाषा दिवस क्यों मनाता है। दुनिया के लगभग सभी राष्ट्रों में इस दिन मातृभाषाओं के सम्मान से जुड़े आयोजन होते हैं, लेकिन इसका श्रेय हमारे पड़ोसी राष्ट्र बांग्लादेश को जाता है। बांग्लादेश 1971 के पहले तक […]

न दिल लगता है न मन लगता है। सच कहे तो दिल में मेरे अब कोई तो बस्ता है। जिसे में ढूँढ़ रहा हूँ और हो सकता है। वो भी मुझे तलाश रहे हो इस भीड़ में। कभी तो मुलाकात उन से होगी ही। पर तब तक तो दिलो में […]

झूठ,बेईमानी,मक्कारी से हो गए कुछ लोग मालामाल सत्य,ईमानदारी,सादगी में अच्छे लोग हो रहे बेहाल इसका दोषी कोई ओर नही है कलियुग का महाकाल जहां गधे पजरी खा रहे है बौद्धिक बजा रहे सिर्फ गाल इस कलियुग के प्रभाव से अब तो मुक्ति पानी ही होगी जो विकार घेरे है हम […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।