चैत की पावन नौमी अनूप, लिए सुषमा का नया रंग लोना। राष्ट्र की संस्कृति ज्योति उदग्र, सजाये हुये शुभ बीज का बोना। कल्मष मानवों के मन का, तन का सब साथ ही आप ही धोना। जागृति की लिए दीप शिखा, की सुज्योति से ही तम का खोना। लोक में है […]
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रससुजान रसखान है,मीरा के पद पूर। सुर-सुरा साहित्य लहरी,ग्रंथ रचे हैं सूर।। अष्ट छाप वर्णन किए,राधेश्यामा गीत। गली-गली गावत फिरे,मुरली में संगीत।। कृष्ण चतुर परमानन्द,गोविंद कुंभनदास। सूर नंद अरु छीतकवि,अष्टछाप के खास।। (‘हिन्दी दोहावली’ के इतिहास खंड भक्तिकाल से दोहा) #डाॅ. दशरथ मसानिया Post Views: 424