जब से मानव जाति बनी, हम वृक्षों को देते सम्मान। तुलसी,नीम सरिस माता के, वट,पीपल होते भगवान॥ देवों को लगते अति प्यारे, चंदन,आम,धतूर,मदार । गुड़हल,कमल मातु को भावे, सोहे बैजन्ती उर हार॥ बेघर, राही, भूले रहते, वृक्ष तले आवास बनाय। अब तो जागो मीत हमारे, ‘अवध’ सभी को रहा जगाय […]